नज़रिया
एक अस्पताल के कमरे में दो बुजुर्ग भरती थे|
एक उठकर बैठ सकता था परंतु दूसरा उठ नहीं सकता था
जो उठ सकता था, उसके पास एक खिडकी थी वह बाहर खुलती थी
वह बुजुर्ग उठकर बैठता और दूसरे बुजुर्ग जो उठ नहीं सकता उसे बाहर के दृश्य का वर्णन करता
सडक पर दौडती हुई गाडियां काम के लिये भागते लोग
वह पास के पार्क के बारे में बताता कैसे बच्चे खेल रहे हैं कैसे...
एक उठकर बैठ सकता था परंतु दूसरा उठ नहीं सकता था
जो उठ सकता था, उसके पास एक खिडकी थी वह बाहर खुलती थी
वह बुजुर्ग उठकर बैठता और दूसरे बुजुर्ग जो उठ नहीं सकता उसे बाहर के दृश्य का वर्णन करता
सडक पर दौडती हुई गाडियां काम के लिये भागते लोग
वह पास के पार्क के बारे में बताता कैसे बच्चे खेल रहे हैं कैसे...