...

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एक लड़की के अनकहे जज़्बात
मैं एक लड़की हूं....
मैं लाचार नहीं.... बेचारी नहीं
ना सहमी हुई और नाही डरी हुई हूं
पर मुझे हर पल ये महसूस कराया जाता है कि मुझे डरना चाहिए .....
अकेले बाहर जाने से.... अंजान लोगो से मिलने से उनसे बात करने से....
मुझे शर्म और लिहाज़ करना चाहिए
प्यार महसूस करने से....
अपने पसंद के इंसान से खुलकर बात करने से... अपनी पसंद का काम करने से.. दिल खोलकर गाने से...खिलखिलाकर हंसने से.....दिल से रोने से....
मुझे छुपना चाहिए ताकि कोई मुझे गलत नज़र से देख ना ले.... कोई मेरे साथ कुछ गलत ना कर दे
मुझे अपने बारे में सोचने का कोई अधिकार नहीं क्योंकि मैं एक लड़की हूं।
हां मैं एक लड़की हूं.... पर मुझे ज़रूरत
डर, लिहाज़, शर्म और छुपने की नहीं....
मुझे ज़रूरत सहारे की नहीं....

मुझे ज़रूरत साथ की है....
ताकि मैं इस डर के पिंजरे को तोड़कर आज़ादी से खुली हवा में सांस ले सकूं।
© Sarika