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रेशमी स्वाद—कुछ मीठा, कुछ कड़वा!
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इक रेशमी सा मुंह में घुलता मीठा आभास! कोकोआ का अपना कड़वापन अकेला कुछ नहीं कर पाता लेकिन शक्कर के साथ मिलकर जब एक अलग स्वाद पैदा करता है तो कुछ रूमानी, कुछ आसमानी और कुछ गुदगुदाता अहसास होता है! बस उसी को चाकलेट कहते हैं। प्रेम और स्नेह का प्रतीक— चाकलेट!

किसने बनाया, क्यों बनाया, किसलिए बनाया? छोड़िए। लैटिन अमेरिका के मैक्सिको में लगभग 4000 वर्ष पहले कोकोआ बीजों से एक हैल्थ ड्रिंक बनाया जाता था जिसमें मसाले मिलाए जाते थे लेकिन स्वाद कड़वा ही था। एज़्टेक सभ्यता की भाषा से ही चाकलेट शब्द की उत्पत्ति मानी जाती है।

कोलंबस द्वारा 15वीं सदी में अमेरिका की खोज ने चाकलेट को यूरोप पहुंचा दिया। चाकलेट में यूरोपियन लोगों ने शक्कर क्या मिलाई कि 16 वीं सदी का अंत होते-होते चाकलेट यूरोप के अमीर और मध्यमवर्गीय परिवारों का पसंदीदा पेय बन गया। क्या व्यापारी, क्या कंपनियां सब चाकलेट से धनी हो गए।

काले गोरे का भेद इंसानों पर लागू होता है मगर चाकलेट पर नहीं अन्यथा बच्चों को कोई काली भूरी रंग डिश खिला कर तो देखो। केवल रंग के आधार पर न रिजेक्ट हो जाए तो कहना?!

भारतीय मिठाईयों के शौकीन तो हैं ही लेकिन धीरे-धीरे चाकलेट ने जो भारतीय घरों में और दिलों में स्थान बना लिया है, उसका कोई मुकाबला नहीं।

अब तो हाल यह है कि टीवी पर अमिताभ बच्चन से लेकर हर तबके के सेलिब्रिटी चाकलेट बेच रहे हैं। कुछ मीठा हो जाए— टैगलाइन है। Close Your Eyes— जिंगल रूमानी युवाओं के लिए है। बच्चे मैगी और चाकलेट के फैन हैं।😇😁🍫

और "चाकलेट डे" ? यह तो Vallentine Day का चचेरा भाई है! शायद, चचेरी बहन है! प्रेमियों के हृदय पक्षियों की भांति फड़फड़ा रहे हैं। गुल्लक तोड़ कर, अम्मां से पैसे ठग कर पांच-दस बड़ी "सिल्क" खरीद लीं हैं। अब देखो, क्या बनता है?! कूटे जाते हैं या लूटे जाते हैं?🤣🤣🍫🍫🍫

—Vijay Kumar—
© Truly Chambyal