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सॉलिट्यूड ब्रेक

*लेट्स हैव *सॉलिट्यूड ब्रेक*

ये महज़ कहावत नहीं बल्कि सच्चाई है कि अगर आपमें क़ाबिलियत है तो आपको अपनी क़ाबिलियत के बारे में किसी को बताने या जताने की ज़रूरत नहीं है,आपका काम बोलेगा और सफलता आपके कदमों में होगी.इतिहास साक्षी है कि दुनिया के सफल लोग खुद अपने बारे में नहीं बोलते,वरन् उनकी सफलता का दुनिया खुद ही गुणगान करती है.हम गौर करें तो बड़बोला व्यक्ति अक़्सर ही हास्य का पात्र बन जाता है.इसीलिए बोलने से पहले सौ बार सोचिए और तौल-मोल कर बोलिए.
चाणक्य नीति भी यही कहती है कि- जब व्यक्ति को मुख से कोई बात उच्चरित करनी हो तो पहले अच्छे से सोच विचार कर लेना चाहिए,क्योंकि जिस तरह से कमान से निकला हुआ तीर वापिस नहीं लौटता है उसी प्रकार मुख से निकली हुई बात वापिस नहीं होती है. तीर फिर भी शरीर को घायल करता है जबकि बात तो मन ही नहीं आत्मा तक को घायल कर देती है.हम ग़ौर करें तो आजकल दुनिया में व्यक्तियों के मध्य अधिकतर विवादों का कारण नेपथ्य में विचार किए बिना बोलना ही है.
बिना विचारे बोलने या बड़बोलेपन के आदत से छुटकारा पाने के लिए,किसी अपने के द्वारा बताए जाने पर कि आप बड़बोले हैं,तो सबसे पहले स्वीकार कीजिए कि आप बड़बोले हो सकते हैं,क्योंकि दुनिया में सबसे मुश्किल काम स्वीकार करना ही है.फिर स्वीकारोक्ति के बाद मौन की साधना के लिए,कुछ समय निकालिए.मौन साधना हमारे सोचने समझने की शक्ति को बढ़ाती है,इसीलिए शास्त्रों में ही नहीं व्यावहारिक दुनिया में भी मौन-साधना की अहमियत को स्वीकार किया गया है.बड़े बड़े मनोवैज्ञानिक और करियर-काउंसलर भी स्मरण शक्ति बढ़ाने,एकाग्रता,शांति और सकारात्मक सोच के लिए जीवन में नियमित रूप से मौन-साधना की सलाह देते हैं.जब हम कुछ समय तक मौन-साधित रहते हैं,तो आत्ममूल्यॉंकन कर पाते हैं और नयी मानसिक ऊर्जा से सराबोर होते हैं.मौन-साधना जैसे छोटे-छोटे उपायों से आप अपने जीवन में बड़े-बड़े सकारात्मक बदलाव सा सकते हैं.
आज रिश्तों को ही नहीं कैरियर को भी सँवारने के लिए भी हर व्यक्ति को आत्मावलोकन के लिए मौन-साधना को आत्मसात कर अपनी एक *"थर्ड स्पेस क्रिएट* करना चाहिए जहॉं वह *सॉलिट्यूड ब्रेक* यानी एकांत के क्षण ले सके,जिससे व्यक्ति विशेष अपनी सोचने,समझने और निर्णय लेने की क्षमता को सुधार सकता है और अपने आप पर नियंत्रण रखते हुए आत्म मुग्धता एवं बड़बोलेपन जैसी खराब आदतों से छुटकारा पा सकता है!सो गाईज़ लेट्स हैव सम *सॉलिट्यूड ब्रेक*


© Ananya Rai Parashar