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KHAAR (PART 8)-THE REALITY
कुंतू और खार के पास अब तीनों पत्थर मौजूद हैं जो डोंगरा का दरवाज़ा खोलने के लिए चाहिए।
कुंतू और खार अब डोंगरा के द्वार के सामने जाते हैं और उन तीनों पत्थरों को उन चिन्हों पर रख देते हैं, जो दरवाज़े पर बने हुए थे।
शंकना का जादू टूट जाता है और कुंतू, खार को अपने जादू से एक छिपे हुए रास्ते से डोंगरा के अंदर लेकर जाता है। खार डोंगरा को पहली बार अंदर से देख रहा होता है। खार और कुंतू देखते हैं कि हर ओर एक अजीब सी शांति, और एक अंधेरा है जो उस जगह को बड़ा ही डरावना बना रहा था।
खार ने कुंतू से पूछा, क्या यह हमेशा से ऐसा ही था?
कुंतू जवाब देता है, कि नहीं।
डोंगरा एक समय बहुत ही सुंदर राज्य था। किन्तु शंकना की बुरी शक्तियों ने इसे ऐसा बना दिया है।
कुंतू जादू से अपना रूप बदल लेता है, ताकि कोई उसे पहचान ना पाए। खार, कुंतू से पूछता है कि हम पहले कहाँ जाएंगे?
कुंतू खार से कहता है कि शंकना से युद्ध करने से पहले हमें किसी तरह कालकोठरी में जाना पड़ेगा, क्योंकि वहाँ मेरी पत्नी इंद्रावती कैद है।
वो दोनों किसी तरह से कालकोठरी में पहुँच जाते हैं। जब इंद्रावती, कुंतू को देखती है तो उसकी खुशी की कोई सीमा नहीं रहती है। किंतु तभी शंकना वहाँ पहुँच जाता है। कुंतू और शंकना में एक खतरनाक युद्ध शुरू हो जाता है। कुछ वक़्त बीत जाने पर कुंतू अपने एक मंत्र का प्रयोग करके शंकना को एक गुप्त समयकाल में भेज देता है। अब डोंगरा शंकना के डर से स्वतंत्र हो चुका था।
युद्ध खत्म होने पर इंद्रावती कुंतू से खार के बारे में पूछती है। कुंतू, खार के बारे में सब कुछ बताता है। सारी बातें सुनकर इंद्रावती खार को गले लगा लेती है और रोने लगती है। कुंतू, इंद्रावती को शांत करता है और इंद्रावती के रोने का कारण पूछता है।
इंद्रावती कहती है, महाराज यह यह कोई और नहीं बल्कि आप ही का पुत्र है।
कुंतू बड़े आश्चर्य से इंद्रावती की ओर देखता है।
इंद्रावती कहती है कि महाराज जिस दिन शंकना ने राज्य पर हमला किया था मुझे उसी दिन पता चला कि मैं गर्भवती हूँ। मुझे आपको यह बात बताने का अवसर ही नहीं मिला। शंकना ने मुझे जब कालकोठरी में डाला तो मुझे लगा कि यदि शंकना को मेरे गर्भवती होने का पता चला तो वो मेरे बच्चे को हानि पहुँचा सकता है, इसलिए मैंने अपने जादू से अपने बच्चे को एक दूसरी दुनिया की स्त्री के गर्भ में भेज दिया था। किन्तु मैंने एक और जादू की सहायता से एक और मार्ग का निर्माण भी किया जो इसे वापस आपके पास लेकर आता। उस मार्ग से सिर्फ़ मेरा पुत्र ही इस दुनिया में आ सकता था। यह हम देनों का ही पुत्र है।
कुंतू यह सब सुनकर बहुत प्रसन्न होता है और खार को अपने गले से लगा लेता है।
अब डोंगरा वापस से एक खुशहाल राज्य बन जाता है, और खार को एक नया नाम मिलता है - आर्थव।
आर्थव एक दिन अपने पिता से बात कर रहा होता है और पूछता है कि पिताजी मुझे एक बात समझ में नहीं आयी।
कुंतू पूछता है कौन सी बात पुत्र? आर्थव कहता है कि पिताजी शंकना ने डोंगरा को उन तीन पत्थरों की सहायता से बंद किया था, अर्थात उसमें भी उन तीनों पत्थरों को जीतने की क्षमता थी। किन्तु वह तो एक बुरा व्यक्ति था, तो वो उन तीनों पत्थरों को कैसे जीत सकता था?
कुंतू मुस्कराते हुए कहता है आर्थव, शंकना हमेशा से वैसा नहीं था। इसी कारण से मैंने उसे मारा नहीं सिर्फ़ एक दूसरे काल में भेजा है। आर्थव, कुंतू से पूछता है, तो क्या शंकना अब भी ज़िन्दा है?....
तो आखिर क्या थी शंकना की कहानी? और कहाँ है शंकना?...


© AK. Sharma