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हाड़ा रानी
राजस्थान की माटी के कण-कण से बलिदानो की महक आती है। ये कहानी है राजस्थान सलुम्बर के रावत रतन सिंह चुण्डावत की रानी वीरांगना हाड़ा रानी की ।युद्ध में जाते अपने पति के मोह ग्रस्त हो जाने पर निशानी मांगे जाने पर अपना शीश काट कर भेज दिया
बूंदी के राजमहल में बजी बधाई
बूंदी के अन्त:पुर में सिंह शाविका आई
पिता हाड़ा राजा राजपूत संग्राम सिंह ने नाम रखा सलह कंवर
दिन दिन बढ़ती जाती थी ज्यों पूर्णिमा का चन्द्रमा
सुन्दरता का खजाना थीं वो क्षत्राणी महान थीं
ईश्वर ने पूरी श्रद्धा और फुर्सत में उन्हें बनाया था
आंखें थीं या अराई के पत्ते पर ठहरी जल की बड़ी बड़ी बूंदे
इन आंखों में वीरता का जल छलकता था
केशराशी थी ज्यों मेंघो में छिपे...