समझ समझ का फेर.....
एक बार एक टीचर अपने बच्चों से कहती हैं, बच्चों मैं आज तुम्हें एक कहानी सुनाऊगी और बीच में एक प्रश्न भी पूछूगी उसका उत्तर आप सब को बताना होगा ।और कहानी को ध्यान से सुनना,एक बार एक जहाज दुर्घटना ग्रस्त हो गया उस जहाज पर एक पति पत्नी सफर कर रहे थे । उन्होंने देखा बोट में एक ही लाइफ बोट है, जिस पर एक ही व्यक्ति बैठ सकता हैं,पति ने पत्नी को जहाज में ही छोड़ दिया और खुद उस बोट पर जाकर बैठ गया,पत्नी चिल्लाई और चिल्लाचिल्लाकर कुछ कह रही थी। टीचर ने पूछा बताओ बच्चों की उसकी पत्नी क्या कह रही थी, बच्चों ने एक साथ जवाब दिया तुम मुझसे प्यार नहीं करते ,तुम ऐसा नहीं कर सकते ,तुम बेवफा हो,पर एक बच्चा चुपचाप बैठा था।टीचर ने उसके पास जाकर कहा तुम भी जवाब दो तुम उदास क्यों हो, तब बच्चे ने कहा पत्नी ने चिल्लाकर कहा होगा की हमारे बच्चे का ख्याल रखना, टीचर हैरान थी बोली बच्चे तुमने ये कहानी पहले कभी सुनी थी।क्योंकि पत्नी ने यही कहा था।तुम्हे कैसे मालूम की पत्नी ने यहीं कहा था, बच्चे ने जवाब दिया मैंने ये कहानी कभी नहीं सुनी पर मेरी मां मरते वक्त मेरे पिता से यही कहा था।मेरे बच्चों का ख्याल रखना,उसका जवाब एक दम सही था।टीचर ने कहानी आगे बढ़ाई जहाज डूब गया और वो व्यक्ति बच गया,और उस व्यक्ति ने अपने बच्चे की अच्छे से परवरिश की कई सालों के जब उस व्यक्ति की मृत्यु हुई,तब उसकी बच्ची को अपने पिता के समान से एक डायरी मिली, जिसमें उसने अपनी पत्नी के बारे में लिखा था, मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूं, मैं उस घटना के भारी एहसास को लेकर कैसे जी रहा हूं ,ये केवल तुम और मैं ही समझ सकता हूं , उसने आगे लिखा था , तुम्हारी बीमारी आखिरी सिर पर थी,तुम कुछ ही दिन की मेहमान थीं । अगर बेटी की परवरिश का सवाल न होता ,तो मैं भी उसी पल तुम्हारे साथ समुंद्र की गहराइयों में समा गया होता ,मैं तुम्हे यू अकेला ना छोड़ता ।
कहानी समाप्त हुई ,पूरी क्लास मौन थी वो कहानी के भीतर की शिक्षा को समझ चुकी थीं ,दोस्तो जीवन में कुछ ऐसी परिस्तिया होती हैं,जिन्हे सतई तौर पर देख कर या सुनकर हम तुरंत निष्कर्ष पर टूट पड़ते है।पर उन्हे वही व्यक्ति समझ सकता है,जो उस स्थिति से गुजर चुका हो ,या गुजर रहा हो । इसी लिए कभी भी किसी घटना को सतई तौर पर देखकर कभी भी निष्कर्ष न निकलना ,हर कहानी के तीन पहलू होते हैं,एक जो आप देखते, सुनते समझते है,दूसरा वो जो दूसरे देखते सुनते समझते है।और तीसरा वो जो सच होता हैं।
किसी ने कितनी प्यारी बात कहीं है,
निभा न सकेंगे मेरे किरदार को,
वो लोग जो मुझे मशवरे हजार देते है।
_ Devanand Gupta
कहानी समाप्त हुई ,पूरी क्लास मौन थी वो कहानी के भीतर की शिक्षा को समझ चुकी थीं ,दोस्तो जीवन में कुछ ऐसी परिस्तिया होती हैं,जिन्हे सतई तौर पर देख कर या सुनकर हम तुरंत निष्कर्ष पर टूट पड़ते है।पर उन्हे वही व्यक्ति समझ सकता है,जो उस स्थिति से गुजर चुका हो ,या गुजर रहा हो । इसी लिए कभी भी किसी घटना को सतई तौर पर देखकर कभी भी निष्कर्ष न निकलना ,हर कहानी के तीन पहलू होते हैं,एक जो आप देखते, सुनते समझते है,दूसरा वो जो दूसरे देखते सुनते समझते है।और तीसरा वो जो सच होता हैं।
किसी ने कितनी प्यारी बात कहीं है,
निभा न सकेंगे मेरे किरदार को,
वो लोग जो मुझे मशवरे हजार देते है।
_ Devanand Gupta
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