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कोरोना तुम कब जाओगे
कोरोना तुम कब जाओगे...
संकट की इस घड़ी में पूरा देश रूक-सा गया है । जीवन की सारी हलचल थम-सी गयी है । समझ में नहीं आता कि यह सब आखिर कब तक चलेगा ?.. कोरोना कब विदा होगा ? इसने तो विपक्ष को भी मुद्दा विहीन-सा कर दिया है । आखिर वह बोलें तो क्या बोलें । अब तो सीएए का मुद्दा भी ठंडे बस्ते में चला गया । कोरोना के आगे अब हर चीज बौनी दीख रही है । लेकिन पशु-पक्षियों का उत्साह देखने लायक है । चिड़ियों की चहचहाट अब सुनी जा रही है । दिल्ली की निर्जन सड़कों पर कबूतरों के झुंड निकल पड़े हैं । सोसायटी के कैंपस में कुत्ते खेल-कूद रहे हैं ; धमा-चौकड़ी मचा रहे हैं । उन्हें सचमुच में स्पेस मिल गया है । वाकई यह सोचने की बात है कि कोरोना हमारे लिए अगर अभिशाप है तो फिर उनके लिए क्या है ?.. वैसे तो-अतिथि देवो भव: हमारे संस्कारों में गहरे रचा-बसा है .. मेहमां जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है , लेकिन ऐसे मेहमानों से दूर रहना हीं अच्छा है - चश्मे बद्दूर ! कोरोना भी इनदिनों गजब का ढीठ माशूक़ बना फिर रहा है पूरी दुनिया में । मान न मान मैं तेरा मेहमान - की तर्ज पर वह अपना जलवा कहीं भी बिखेर देता है । सुना है, आजकल बड़े-बड़े सूरमाओं के प्राण भी संकट में हैं और उन्हें भी कुछ सुझ नहीं रहा कि इस बला से कैसे निपटा जाय । अगर ड्रोन हमले से बात बन रही होती तो अबतक इस नामुराद का काम कब का तमाम हो चुका होता । जहाँ तक अपने मुल्क की बात है , हम तो पत्थर से भी तेल निकाल लेते हैं । कल के जनता-कर्फ़्यू में अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला । शंख और घंटियों की गूंज और करतल ध्वनि के समवेत स्वर ने कुरुक्षेत्र की याद ताजा कर दी - अधर्म के उपर धर्म का शंखनाद ! लगा कि इस कोरोना ने हमें युद्ध के लिए ललकारा हो और हम सब इस पापी के सर्वनाश के लिए शंख फूंक रहे हों । आखिर किसी भी चीज की एक हद होती है । इसने हम सब का जीना दूभर कर दिया है । टीवी देखते-देखते मन उब गया है । किताब और अखबार के पन्नों को छूने से डर लगता है । और तो और अपने चेहरे को भी छूना मना है । बच्चे घर की चारदीवारियों में खेलते-खेलते बोर हो गये हैं । पत्नी की जिन्दगी से दिन का खाली समय गायब है । जब से यह आया है मैंने सुबह-शाम टहलना छोड़ दिया है , दोस्तों के घर नहीं जाता और बाज़ारों में ताजा सब्जियां भी नहीं मिलतीं । जो भी हो इस हरजाई से छुटकारा बहुत जरूरी है । कोरोना आखिर तुम कब जाओगे ?..