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दिल के अल्फ़ाज़ (अंकहे से)
कुछ बातें एसी होती है न जो हम किसी से कह नहीं सकते पर वो अल्फ़ाज़ के ज़रिए हम लिख ज़रूर सकते है। ऐसी ही कुछ बातें मेरी भी है।

कभी कभी ऐसा लगता है जैसे सब कुछ छोड़ कर कहीं ऐसी जगह जाए जहा सिर्फ हम हो और कोई नहीं, जहाँ हम खुदसे मिले। जैसे एक नए सिले से ज़िंदगी जीना शुरू करे। क्योंकि हम थक जाते है सब करते करते, ज़िम्मेदारी निभाते- निभाते, फ़र्ज़ पुरा करते-करते, हक़ देते- देते। जब सब कुछ करते करते मन भर जाता है न तब ऐसा लगने लगता है।

और कुछ दर्द ज़िंदगी में न ऐसे भी होते है जो ना तो कह सकते है और ना ही सह सकते है। पर क्या करे ये ज़िंदगी है साहब एक नाटक के जैसी सब अपना- अपना रोल कर रहे है। और हम भी इसी नाटक के हिस्सेदार है तो जो हमे रोल मिला है वो तो हमें निभाना पड़ेगा।

क्योंकि जो आपके किस्मत में नहीं है वो आपके पास आकर भी चला जाएगा, और जो आपके नसीब में है वो सात समुंदर पार भी होगा पर आपको ज़रूर मिलेगा सही वक़्त आने पर। मज़ा क्यों कम है, ज़िंदगी में किसे नहीं गम है, इसलिए हस्ते रहिये और हमेशा मुस्कुराते रहिये।

© Glory of Epistle