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एक एहसास ही है -2
छुपायी आखिर मै मोनू को इतना घूरके देखरि थी तो वो भी मुझे देखने लगा और अपने स्थान में आके बैठ गया और पूणिमा भी खुद को संभालके अपनी परीक्षा लिखने में व्यस्त हो गई।कुछ ही देर में मोनू से अगल बगल की लड़कियाँ सवालो के जवाब पूछने लगी और मोनू ने सबको सबके उत्तर बता दिए और नकल भी की फिर पूणिमा के मन में भी मोनू से बात करने की तरकीब आई और बहाने बहाने पूणिमा भी उससे सवाल के जवाब पूछने लगी पर मोनू ने जवाब बताने से मना कर दिया और पूणिमा ने गुस्से में ठान लिया कल मैं इसे सबक जरूर सिखाऊँगी, और दूसरे ही दिन स्कूल में मोनू अपना बैग रखकर कक्षा के बाहर जाता है उसके निकलते ही पूणिमा कक्षा में जाती है और मोनू का बैग कचरे के डब्बे में डाल देती है और सबको कहती है अगर किसी ने बताया तो अंजाम बुरा होगा तुम सब के लिए तो सबने कहा ऐसा क्यों कर रही हो छोड़ दो वो तुम्हें नही जानता कैसे बतायगा कुछ तुम्हें तो पूणिमा ने भडकती आवाज में कहा तुम सब पडोसने हो क्या उसकी जो तुम्हें सब बतायगा इसलिए सब चुप रहो मैं भी बदला लेगी, अब घंटी लग गयी मोनू कक्षा में आया और अपनी बैग ढूँढने लगा और सबसे पूछने लगा सबने इशारे से बताया कचरे में है पूणिमा ने डाला फिर मोनू कचरे से बैग ले आया और बोला न जाने किस बेवकूफ ने मेरा बैग वहा डाल दिया अब ये सुन पूणिमा तमतमाती उठी और बोली मैं डाली तो उसने पूछा क्यों तो पूणिमा ने फिर गुस्से में कहा मैने देखा था कल तुमने जूते में नकल छुपायी थी चोरी की थी और सबकी मदद की थी बस मुझे छोड़कर तो मोनू धीरे से बोला आज बताउँगा न तुम गुस्से में क्यों बोलरी हो पहले बोलना था न तुम मुझे ही देख रही थी तो पूणिमा ने कहा मैं तेरी नकल देखरी थी तो मोनू ने कहा छोड़ न दोस्त बन जा उसकी प्यारी आवाज में पूणिमा पिघल गई और हाथ मिला लिया अब सारी परीक्षा अच्छे बितरे थे 15 दिन बाद आखिरी चित्रकारी की परीक्षा थी पूणिमा चित्रकार बहुत अच्छी थी वह अपने पेपर पूरे करके जाने ही वाली थीं की उसने मोनू के पेपर खाली देखें और उसे समझते देर न लगीपूणिमा चित्रकार बहुत अच्छी थी वह अपने पेपर पूरे करके जाने ही वाली थीं की उसने मोनू के पेपर खाली देखें और उसे समझते देर न लगी की इसे चित्रकारी बिल्कुल नहीं आती तो पूणिमा ने मोनू की पेपर ली और सारी चित्रकारी कर दी और आखिरी बाय करके जाने लगी क्योंकि अब स्कूल अगले महीने खुलने वाली थी।और पूणिमा जल्दी से अपना बैग लेकर छत पे खड़ी हो गई और छुट्टी का इन्तजार करने लगी फिर छुट्टी हुई और वह मोनू को घर जाता देखती रही वह खुद भी सोचरी है कि क्या हो गया है उसे ऐसे छुप छुपके आज किसी को देख क्यों रही हैं पर उसे इतनी खुशी मिलरी थी की बस वह देखे जा रही थी, फिर सबके जाने के बाद वह भी घर चली गई अब यह 15 दिन वह रोज उसके साथ बिते पलो को याद करती पागलो की तरह हँसती नाचती गाती और स्कूल खुलने का इन्तजार करती।
1 सितम्बर को स्कूल खुली और पूणिमा खुशी खुशी स्कूल गई मोनू से मिलने की उम्मीद में जब वह स्कूल पहुँची तो उससे मुलाकात तो हुई पर बातचीत नही हुई तो उसने फिर एक तरकीब सोची वह मोनू से उसकी सातवी की किताबे खुद के पढने के लिए माँग ली तो उसने दे दी ,एक बहाना मिल गया दोस्ती को बरकरार रखने का और मोनू के छोटे भाई की किताबे पूणिमा ने अपनी छोटी बहन के लिए माँग लिया और वह भी उसने दे दी, मोनू की किताबो को पूणिमा ने अच्छे से कवर किया और एक एक पन्ने को पलट पलट कर देखने लगी की कही किसी लड़की दोस्त का नाम तो नहीं सारी किताबे उसने देख ली पर उसे M के अलावा कुछ नहीं मिला,इसी तरह मोनू को देखते हुए पूरा साल पूणिमा का खत्म हो गया।
2006 अप्रैल 15 पूणिमा आठवी मे और मोनू नौवीं कक्षा में चले गये हैं ,पूणिमा मोनू को उसकी पुरानी किताबे वापस करने जाती हैं उन किताबों में पूणिमा की दिल की बातें एक पन्ने के साथ मोनू कि किताबो में छुट जाती है और पूणिमा को याद नही था और वो किताबे मोनू को छुट्टी के बाद देकर घर चली जाती है। मोनू वह किताबे बेचने चला जाता है और जब वह किताबे बेचकर जाने लगता है तो किताब खरीदने वाला मोनू से कहता है भाई तेरा लव लेटर तो मोनू उसे देखा और सोचा मुझ खडुश को कौन लव लेटर लिखेगी फिर वह उसे पढने लगा और पहचान गया ये लिखावट पूणिमा की है,मोनू को ये सब पढके अच्छा लगा और मोनू को भी पूणिमा पसंद थी तो मोनू ने भी लव लेटर में पूणिमा के लिये अपने दिल की बातें लिखी, और दूसरे दिन पूणिमा को छुट्टी के बाद रोककर कहा तुम्हारा कुछ छूट गया था ये लो पूणिमा