वो पहली डांट
आज मन बैचैन बहुत है,किस से कहें समझ नहीं आ रहा। पता है तुम्हें इस बैचेनी का कारण तुम ही हो। तुम ऐसे क्यों हो, क्यों कभी नहीं पूछते कि मैं कैसी हूं।खैर ये सब बोल के कौन सा कुछ होने वाला है। तुम्हें याद है,एक बार मैं और मेरी दोस्त कृष्ण जन्माष्टमी में पुलिस लाइन गये थे। वहां पर प्रोग्राम होते थे और रात के बारह बजे कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता था, शायद अभी...