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जैसा सोच वैसा भोग
एक बार की बात है एक राजा अपने राज्य से गुजर रहे थे तभी एक छोटा बच्चा बोला कि मैं मुझे राजा के रथ पर बैठना है राजा बात सुनकर रुकवा दिए और वह उतर गया बोले कि बच्चे के सामने रात खड़ा कर दो जब रात देखा तो उसने बैठा जाए लेकिन मैं उसे नहीं बढ़ने देती है थी यह सब राजा चिपका देख रहा था मैं उसे अंत में उठाकर ले गई कि तुम्हारा होंठ कभी पूरा नहीं हो सकता क्योंकि तुम पढ़ भी नहीं सकते और ना ही ऐसे रजत पर घूम नहीं सकते तब बच्चा बोला क्यों माया सब क्यों नहीं कर सकता मैं बोलिए जब तक वह आ जाएगा तब तक तुम नहीं कर सकते राजा जब अपने गया तो वह उसकी बातें सोच रहा था वह फिर 1 दिन गया और अपने साथ अपने मंत्री को भी ले गया और राजा बोला कि मंत्री से कि मैं 1 दिन और आया था तो एक रास्ते में मेरे बारे में बहुत गलत बोल रही थी औरत तू मंत्री बोला कि आप ही उसके बारे में गलत ही सोच रहे होंगे तो राजा बोला कि हां मैं सोच रहा था कि मंत्री बोला कि जिसके बारे में जैसा सोचते हैं वह भी आपके बारे में वैसा ही सोचता है नहीं मैं इस बात को नहीं मानता हूं तो मन से बोला कि वह देखिए वह बुढ़िया के बारे में सोचिए उसे पहले आप पेड़ पर चढ़ जाइए जयपुरिया आए तो बोला कि माताजी राजा रोने लगी और फिर से आए और तुम सही बोल रहे हो हम जिसके में जैसा सोचते हैं वह भी हमारे बारे में ही सोचता है