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नाजायज़ रिश्ते
उस दिन मैं अपने ऑफिस के बाहर चाय की दुकान पर अपने एक साथी का इंतजार कर रहा था ! अचानक मेरी नजर एक आदमी पर गई वह बगल के स्टेशनरी दुकान से कुछ खरीद रहा था ! उसका जोर जोर से अपना सामान माँगना (भैया जल्दी दो ना जल्दी करो मुझे देरी हो रही है) मेरा ध्यान खींच रहा था मुझे लगा जैसे कि वह बहुत जल्दी में हो और मैं ऐसा भी नहीं कह सकता कि वो जल्दी में ही होगा क्योंकि आम आदमी की फितरत ही ऐसी होती है कि जब वह किसी दुकान पर जाता है तो चाहता है कि जल्दी से उसे उसका सामान दुकानदार दे दे इतना मैं सोच ही रहा था कि स्टेशनरी वाले ने एक कलम और रजिस्टर लाकर दिया ! कलम एक बंद डब्बे...