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लड़कियां
लड़कियां कुछ नासमझ लोगों के हिसाब से देखा जाए तो सिर्फ़ नाज़ुक,कोमल ,मासूम सी,बेकल होती हैं लड़कियां
इनके अलावा भी उनमें बहुत गुण होते हैं
वो होती हैं सक्षम अपना दर्द अपनो से ही छिपाने में
वो होती हैं मजबूत अपने सबसे कमज़ोर समय में
वो मुस्कुराती हैं जहां रोने को जी चाहता हैं
वो मौन धर लेती हैं कई बार जहां शोर मचाना होता हैं
वो हार मान लेती हैं जहां उन्हें जीतना होता हैं
वो त्याग देती हैं जहां उन्हें छीनना होता हैं
वो कर जाती हैं वो सब जो वो कभी करना नहीं चाहती

मेरे लिए लड़कियां मेरी नज़रों में बहुत strong हैं
क्योंकि मेरे आसपास मेरे परिवार में, मेरे घर में, मेरे फ्रेंड सर्कल में लड़कियां बहुत मजबूत है
ये लोग बहुत हिम्मत वाली हैं
मेरे लिए हर लड़की की बहुत इज़्जत हैं मेरी नज़रों में क्योंकि
हर लड़की जैसी भी हैं चाहे वो बोल्ड हो चाहे वो एक भोली सी हो उसकी कहानी अलग हैं उनकी परिस्थितियां अलग है और उनके वातावरण के अनुकूल वो ऐसी हैं
मेरे लिए वो लड़की भी बहुत मजबूत हैं जो घर में झाड़ू बर्तन करती हैं
मेरे लिए वो भी मजबूत हैं जो बाहर काम के लिए भाग दौड़ कर रही हैं
दोनो ही घरवालों के काम में भागीदारी निभा रहीं हैं हा बस तरीके अलग हैं
लड़कियां बहुत मजबूत होती हैं वो कमजोर नहीं होती हैं

बात बात पर रोने से ये साबित नहीं हो जाता की वो कमजोर हैं
और ना ही कभी भी न रोने से वो मजबूत

मेरे लिए तो वो लड़कियां भी बहुत बड़ा तीर मार चुकी हैं जो स्कूटी को उड़ाती हुई जाती हैं
क्योंकि में तो इतना सा भी नहीं कर पाती
जो बिना डरे इस समाज से भीड़ जाती हैं
मैं तो इतना भर भी नही कर पाती

हर लड़की अलग हैं हर लड़की की कहानी अलग हैं
हर लड़की की परवरिश अलग हैं हर लड़की के आस पास का वातावरण अलग हैं हर लड़की लड़की हैं मगर लड़की भी अलग हैं लड़की से

मैं भी लड़की हूं और हूं मैं बहुत मजबूत
मेरे रोने से मेरे आसुओं से मुझे कमजोर समझना ठीक तो नहीं
हा घबरा जाती हूं तकलीफों में
मगर तकलीफों से डर कर नहीं
अपनों को खोने से ,कुछ फिर पीछे छूट जाने से
मगर फिर खड़ी हो जाती हूं
इन तकलीफों से लड़ने के लिए
मैं लड़की हूं मगर लड़की का मतलब कमजोर नहीं होता
लड़कियां ।।

लड़की के प्रति अपनी गलत परिभाषा को बदलो