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आसमां और तारें
आसमां और तारे बहुत अच्छे दोस्त थे । आसमां तारों को बहुत पसंद करता था लेकिन तारा सिर्फ उसे एक अच्छा दोस्त मानती थी । एक दिन तारे ने आसमां से मिलने बुलाया और कहा कितना अच्छा होता न अगर हम जमीं पर होते इंसान जैसे जीते साथ रहते ऐसे अपना अपना काम कर के भी मिल पाते तो आसमां ने कहा मिल जाते हम जमीं पर मगर ये जमीं हमारा ना होता । ये गगन भी तो खूबसूरत है मगर इस गगन में हमारा जहां न होता ।
फिर कुछ पल साथ रहते रहते दोनो को एक दूसरे का आदत हो गया दोनो रोज मिलते बातें करते और एक दूसरे को अपनी सारी बातें बताते ।फिर एक दिन दोनो बिछड़ गए दोनो की ये आदत दोनो को बहुत तकलीफ देती रहीं रुलाती रही मगर दोनो न अपना दर्द नहीं वयां होने दिया ।
फिर एक दिन सितारा पूरा टूट कर बिखर गई और जमीं पर आ गिरी तब उसे पृथ्वी पर कुछ लोगो ने देख कर अपने अरमानों को इससे जोड़ने लगे कहने लगे ये टूटता हुआ सितारा हमारी ख्वाहिश पूरी करेगा पर उन्हें ये नही पता की जो खुद टूटी हुई हो किसी की चाहत में भला वो कैसे किसी की ख्वाइश पूरी करेगी । फिर आसमां भी उसे देख कर रोने लगा और तब से आज तक जब भी सितारा गिरते है ऊपर से आसमा भी रोता है और यही जमीन में बारिश बन के गिरता है।।
© Namrata Mahato
फिर कुछ पल साथ रहते रहते दोनो को एक दूसरे का आदत हो गया दोनो रोज मिलते बातें करते और एक दूसरे को अपनी सारी बातें बताते ।फिर एक दिन दोनो बिछड़ गए दोनो की ये आदत दोनो को बहुत तकलीफ देती रहीं रुलाती रही मगर दोनो न अपना दर्द नहीं वयां होने दिया ।
फिर एक दिन सितारा पूरा टूट कर बिखर गई और जमीं पर आ गिरी तब उसे पृथ्वी पर कुछ लोगो ने देख कर अपने अरमानों को इससे जोड़ने लगे कहने लगे ये टूटता हुआ सितारा हमारी ख्वाहिश पूरी करेगा पर उन्हें ये नही पता की जो खुद टूटी हुई हो किसी की चाहत में भला वो कैसे किसी की ख्वाइश पूरी करेगी । फिर आसमां भी उसे देख कर रोने लगा और तब से आज तक जब भी सितारा गिरते है ऊपर से आसमा भी रोता है और यही जमीन में बारिश बन के गिरता है।।
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