...

1 views

yeh un dino ki baat hae....
कहानी बंगाल के छोटे से शहर की है । सन 1975 ठाकुर बिनोय उस शहर के जाने माने न्याय दाता है । हर मसला पहले बिनोय जी के पास का फिर कही की सरकारी मामला हो तो पोलिस के पास जाता वरना बिनोय जी का फैसला पत्थर पर लकीर माना जाता ।

बिनोय ठाकुर परिवार का छोटा बेटा है उम्र करीब 28 साल । उसे से बड़ी उसकी एक बहन और भाई है । आज उनके घर मे काफी चेहल पेहल है । और हो भी क्यो न आज बिनोय ठाकुर की बहन लता मिलने जो आ रही थी । लता की शादी कोलकाता के किसी बड़े बैरिस्टर के साथ हुई है और आज वो अपने पुरे परिवार के साथ ठाकुर निवास आने वाली है ।

असल मे वो ऐसे ही नही मिलने आ रही दरसल 1971 में हुए इंडिया बांग्लादेश के बटवारे main उसका घर तबाह हो गया । लोगों main भड़की हिंसा के कारण लता के पति ने सोचा है के वे लोग उसके माइके के शहर के पास वाले जिले main नया घर बनायगे । पर घर कोलकाता से काफी दूर ही और रोज़ का आना जाना इस हिंसा भरे महूल में ठीक नही होगा इसलिए उन्होंने बिनोय के घर पर रहने का फैसला लिया है ।

उनके स्वागत के लिए बिनोय की बीवी सुबह से लगी हुई है । उसका नाम अमोदिता है । उसकी शादी को कई साल हो गए पर वो अपने परिवार को औलाद का सुख ना दे सकी वरना वो बहुत ही गुण शाली थी पर उसकी एक कमी उसकी हज़ारो अच्छाइयों पर भारी पढ़ रही थी वो हर मुमकिन कोशिश करती के वो किसी तरह सब को खुश रख सके । इन सब के कारण उसकी विपासना ठाकुर भी उससे कटी कटी रहती है चाहे वो कहती कुछ नही पर उसकी नाराज़गी अमोदिता को दिखती थी पर वो क्या ही कर सकती थी फिर भी बिनोय का प्यार उसके लिए कभी कम नही हुआ । वो हमेशा उसकी ढाल की तरह उसके साथ खड़ा रहा ।

लता का परिवार बिनोय के घर पहुँच गया था उसके परिवार में उसकी सास बिनोदिनी उसका पति वीरेंद्र उसकी जेठानी महिमा और उसकी 16 बरस की बेटी मोशमी वैसे तो उसका नाम अनिंदिता था पर सब उसे प्यार से मोशमी कहते ।

अमोदिता ने आरती उतारने के बाद सब को नाश्ता करने को कहा । सब ने नाश्ता किया सिवाए मोशमी और उसकी माँ ने । असल में बंगाल में एक प्रथा है के पति के मरने का बाद औरत को सब दुनियावी सुख त्यागने होगी इसी के चलते उन्हें सादा खाना खाने को कहा जाता है ।

ये सब बिनोय देख रहा था उसे महिमा का ना खाना समझ आता था पर मोशमी का नही । वो काफी देर ऐसे ही उसे देखता रहा ये ना जाने के आज उस के दिल ने बगावत करदी है किसी पराई स्त्री के लिए। ये बिना सोचे वो कब से मोशमी को निहारे जा रहा था । पर फिर उसने ध्यान भटका लिया कुछ सोच कर और ज्यादा चिंता ना की ।

दिन बीता रात आई अमोदिता अपने जेवर निकालती हुई बिनोय को केहती है आपको पता है वो मोशमी अपनी माँ की तरह रहती सादा खाती है सादा पीती और नही अपने जीवन में रंगो को आने देती है ।

बिनोय उससे पूछता है वो किसकी बात कर रही है तो वो बताती है को वो लता की जेठानी की बेटी की बात कर रही है । अपने देखा तो था उसे खाने के वक्त ।

ये सुनते बिनोय ठाकुर मोशमी की पहली झलक में खो गए । वो एक दम सदहारण लड़की थी उसने एक हल्के लाल रंग का कुर्ता और हल्के केसरी रंग की सलवार पहनी हुई थी गले में लाल केसरी दुपटा और बालों की एक चोटी बनाई हुई थी कुल मिला कर वो बस एक आम दिखने वाली लड़की थी पर उस की तरफ बिनोय ठाकुर का रूजाव जाना कोई आम बात नही थी कुछ तो था उस लड़की में जो खास था ।

काफी देर तक बिनोय की तरफ से जवाब न पाकर अमोदिता ने बिनोय को हिलाया और कहा कहाँ खो गए आप । बिनोय ने बस उसके जवाब ने बस कुछ नही कहा । फिर अमोदिता बोलना शुरू करती है वो बहुत ही जिद्दी लड़की है हम ने बहुत कहा के तुम खाना खा लो ये सब पकवान तुम्हे पसंद आये गे पर वो नही मानी उल्टा कहने लगी ये पकवान तो मेरी माँ को भी बहुत पसंद है उन्हे तो आप लोग पूछ नही रहे । आगे अमोदिता बोली सच में वो अभी नादान वो एन सब सामाजिक परिवर्तन को समझ नही पा रही पर क्या ही कर सकते है बच्ची है ।

बिनोय ने सब बाते बड़े ही गोर से सुनी इन सब बातों से उसका रूझान और उसकी तरफ जा रहा था पर क्यों ये समझ नही पा रहा था पर उसने मन बना लिया था वो इन सब बातों पर ज्यादा ध्यान नही देगा और अपने कल की और ही ध्यान देगा क्योंकि ये सब उसके पद और रुतबे को शोभा नही देता । उपर से वो शादी शुदा हे ये सब सोचना उसके लिए पाप हे वो तो अपनी बीवी से बहुत प्रेम करता है तो ये सब सोचनी उसके लिए उचित नही यही सब सोच कर उसे कब नींद आ गई कुछ पता नही चला
© All Rights Reserved