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हां, अब मैं बदल गई हूं.......
हां, अब मै बदल गई हूं
पहले की तरह अब यूंही किसी पर विश्वास नहीं करती, किसी के कुछ कहने से या किसी के दूर चले जाने से अब फर्क भी नहीं पड़ता क्यूंकि, जब तक मैं लोगों के हिसाब से चलती रही तब तक मैं अच्छी थी और अब जब मैं खुद के हिसाब से चल रही हूं तो मैं मतलबी हो गई घमंडी हो गई..... ऐसा मैं नहीं खुद को कह रही कि मै मतलबी हूं ऐसा सब मेरे दोस्तों ने जो कभी मेरे साथ हुआ करते थे और आज भी कुछ ऐसे दोस्त है जो मुझे घमंडी मतलबी कहते है......

अब दूसरों को पाने के लिए मैं खुद ही को खो दूं ये मुझे मंजूर नहीं !
हां, पहले थोड़ी नासमझ थी जो हमेशा खुद से पहले दूसरों को आगे रखती थी, लोगों को खुश रखने की कोशिश में खुद की खुशियां तो मैंने कभी देखी ही नहीं,
मुझे लगा था कि रिश्ते दिल से निभाए जाते है दिमाग से नहीं , और मेरी इसी अच्छाई का फायदा लोगों ने उठाना चाहा, पर एक सवाल रहता था मन में क्यूं , आखिर क्यूं ये दुनियां किसी के अच्छे होने का फायदा उठाती है पर फिर मैंने ध्यान से देखा तो समझ आया कि नहीं , सच्चाई तो ये है कि यहां हर कोई अपने लिए जी रहा है और हर किसी को खुद के जैसा मान लेना यही मेरी सबसे बड़ी ग़लती थी

लेकिन अब मैंने लोगों के पीछे भागना बंद कर दिया है, छोड़ दिया है उन लोगों के साथ रहना ,जो जरूरत पड़ने पर ही मुझे याद करते हैं,इसलिए उन हजारों के भीड़ से ज्यादा अब अकेले ही रहना पसंद है मुझे।

हां अब अपने बारे में सोचना शुरू कर दिया है मैंने ,क्यूंकि अब और खुद को खोना नहीं चाहती देर से ही सही मगर अब ज़िंदगी को सही मायने में जीना सीख गई हूं

अगर आज भी कभी मुझे कोई यह कहता है कि तुम बदल गई हो तब मुझे ये सुनकर पहले की तरह हर्ट नहीं होता अब मै भी जवाब दे देती हूं कि हां.... मैं सच में बहुत बदल गई हूं !
© कृष्ण_प्रिया

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