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घनिष्ठ मित्र
रूठता था, तो मना लेती। रुला कर भी, हंसा देती। बात - बात पर हठखेलियां करता, चोटी घुमा कर सताता। बस क्या कहूं अंकित की कुछ बात ही अलग थी। बाहर वालों से तो हर कोई दोस्ती कर लेता है, पर जो दोस्ती अपने ही छोटे भाई से हो जाए, तो उसे क्या कहें? किसी भी कार्य को सम्पूर्ण करने या विफल करने में हम दोनों ही एक - दूसरे का पूर्ण रूप से सहयोग देते। माता - पिता हम दोनों की उछल - कूद से अत्यधिक परेशान थे। उसकी पढ़ाई - लिखाई में मैं उसकी मदद करती, पर जो गुस्सा हो जाता, तो...