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vaado ka vajan
वादों का वजन

रात के गहराते अंधेरे में मेघना अपने कमरे की खिड़की से बाहर झांक रही थी। बारिश की बूंदें कांच पर पड़तीं और धीरे-धीरे फिसल जातीं। हर बूंद उसे उन वादों की याद दिला रही थी जो उसने और आदित्य ने साथ किए थे। वादे जो अब बोझ बनकर उसके दिल पर लदे हुए थे।

पिछले साल की बात है, जब मेघना और आदित्य पहली बार कॉलेज के कैंटीन में मिले थे। आदित्य की बातें, उसकी मुस्कान, और उसकी ईमानदारी ने मेघना को तुरंत अपना बना लिया। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती प्यार में बदल...