...

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सफ़र ❤️
बन के अजनबी मिले थे हम सफ़र में
सफ़र के उन लम्हों को कभी भुलाएंगे नहीं

रखे थे कदम मैंने कदमों के निशां पर उनके
कदमों के वो निशां हम कभी मिटाएंगे नहीं

देखा करता हूं ख़्वाब मैं अक्सर तुम्हें देखता हूं
ख्वाबों में भी तुम्हें हम भूल कभी पाएंगे नहीं

कहते हैं के रोते हैं लोग मोहब्बत में हमेशा ही
खुदा कसम तुम्हें वो बुरे दिन कभी दिखाएंगे नहीं

रूबरू हुये थे कल एक दूसरे से की पता चल गया
कि मैं कुछ नहीं मगर, मेरे सब कुछ हो तुम

मैं झूठ ही सही, मेरी ज़िन्दगी का सच हो तुम
मैं पूरा ही ना सही, मेरा पल पल हो तुम

भूली हुई दुआ सही मैं, ख़ुदा की रहमत हो तुम
हर लम्हा तुम्हारा मुरीद होता है

जब जब मेरे करीब हो तुम
मैं ग़मगीन ही सही, मेरी मेरे चेहरे की हँसी हो तुम

मेरे हर दर्द का मरहम हो तुम
धड़क रहा था सरगम की तरह कल, वो धड़कन हो तुम

© विकास - Eternal Soul✍️