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उसे नारी का सम्मान पता था
वो मेरे घर के सामने खड़ी थी, उसके पीछे उसकी दो नन्ही बच्चियां भी थी, "काम वाली चाहिए मैडम" पूछा तो प्रश्न था पर उसके चेहरे और लहज़े में स्पष्ट था कि वो न सुनने को तैयार नही है, मुझे ज़रूरत तो थी तो आधार कार्ड और दूसरी औपचारिकताओं के बाद रख लिया उसे, घर के साथ बने एक कमरे बाथरूम किचन सेट में रहने लगी
बड़ी बच्ची स्कूल जाती थी छोटी साथ आ जाती थी थोड़ी देर बाद बड़ी भी, मेरी बेटी जो काफी देर से लौटती थी के खिलौनों खेलती रहती उन्हें पता था कि खेलने के बाद खिलौने संभाल के भी रखने है घर में रौनक रहती थी
एक बार उनके पापा के बारे में पूछ लिया तो उसने बताया कि तलाक की बात चल रही हैं औरबिस फ़ैसले में उसके मां बाप उसके साथ नही है वो अकेले ही संभाल रही है पति के साथ निपटारा और बच्चों की परवरिश , इतनी छोटी सी उम्र में तलाक! दो बच्चियों की ज़िम्मेदारी ये तो खुद बच्ची हैं ,मुझे बहुत बुरा लगा उसके लिए, फिर उसने बताया तलाक उसके पति नही उसने ख़ुद मांगा था
शराब पी के मारता था क्या? ये लो मैं भी बाकियो के जैसे सोचने लगी पर अब तो पूछ लिया, पर उसे बुरा नही लगा बोली नही दीदी ऐसा कुछ नही न ही किसी और औरत का चक्कर था पूछने पर पता चला कमाता भी ठीक था
अब जाने क्यों मुझे जानने की बेचैनी होने लगी कि फ़िर वजह क्या थी (अब खुद ही अपनी घिसी पिटी सोच पे शर्म आती है) और मैं चली उसे समझाने कि अरे फिर क्यों अपने हाथों से अपना घर तोड़ रही हो थोड़ा बहुत तो निभाना पड़ता है वगैरह वगैरह
वो बहुत गंभीरता से बोली थोड़ा बहुत नही बहुत ज़्यादा ही हो गया था और मैं सोचूँ की न मार पीट न बेवफाई न सास ससुर की तरफ से परेशानी फिर ज़्यादा क्या हुआ फिर भी मैंने पूछा ज़्यादा क्या?
बोली उसे एक और बच्चा चाहिए था, उनके समाज में 3-4 बच्चे होना आम था वो खुद 4 बहने थी फिर भी बात तो ठीक थी मगर इस बात पे तलाक़ मांग लिया
मैंने बोला अरे ये बात तो संभाली जा सकती थी तुम कुछ दिन तक टालती शायद वो अपनी ज़िद छोड़ देता , इस पर वो बोली बात सिर्फ तीसरे बच्चें की नही है दीदी , बात लड़के के लालच में बच्चे पैदा करते जाने की हैं और मुझे इस सोच का हिस्सा नही बनना अगर मेरी बेटियां उसके लिए पूरी नही पड़ती तो मुझे उसके साथ नही रहना
वो छोटी सी चौथी क्लास तक पढ़ी हुई दुबली पतली लड़की उस वक़्त उन सभी फेमिनिस्ट पर भारी पड़ रही थी जो बाद में अपना दुखड़ा ले कर सोशल मीडिया पर चिल्लाते है कि उस वक़्त उनकी मजबूरी का फायदा उठाया गया
तो वो अब हल्ला मचायेंगे ( क्योंकि अब वो समर्थ और सफल हैं)
उसे शायद फेमिनिज्म या विमेन एम्पावरमेंट जैसे शब्द या उनके मतलब पता भी नही होंगे पर वो उनकी जीती जागती मिसाल थी

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