...

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तुम्हारे बारे में
"अच्छा एक बात बताओ"
"पूछो"
"मेरे जाने के बाद कुछ लिखोगे ..मेरे बारे में ?"
"फिर तो पढ़ना पड़ेगा"
"अरे मैं लिखने की बातें कर रही हूं"
"हां तभी तो कह रहा हूं कि पढ़ना पड़ेगा ..ताकि संकलित कर पाऊं कुछ शब्द जो तुम्हारी व्याख्या कर सकें"
"अरे ! कितना घुमा देते हो बातों को जैसे आज लिख लेते हो कल भी लिख लेना"
"तुम्हारे बाद मेरे पास बचेगा ही क्या जिन शब्दों से तुम्हें लिख पाऊं ?"
"कभी-कभी सोचती हूं कि काश मुझे ढेर सारा वक्त मिलता तो तुम्हारे पास बैठकर मैं वह सारी बातें लिखवाती.. सारा वक्त पन्नों पर सजा होता..
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...और हां ! लेकिन केवल मुस्कुराहटे और ठहाकों मे डूबे हुए शब्द"
"और विदा के आंसू कौन लिखेगा फिर ?"
"वह मुझे नहीं पता ...रोते हुए शब्द मुझसे ना ढूंढे जाएंगे... शायद इतना साहस नहीं मुझ में..वक्त भी तो नहीं है.. अभी तो इन मुस्कुराहटों को तुम पूरा लिख भी ना पाओ,उस वक्त तक शायद मैं तुमसे बहुत दूर चली जाऊं"
"हां सच कहती हो.. खै़र! मुझे उन्हें ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ेगी.. वह खुद ढूंढ लेंगे मुझे... तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारे हँसी और ठहाकों में डूबे हुए शब्दों के बीच जो रिक्तिया बची होंगी वहां मेरे आंसू स्वयं ही भर जाएंगे.."
अथाह प्रेम तुम्हें।
तुम्हारा मीर 🖤
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