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आगे आगे ब्रांड पीछे पीछे सांड
हर यह कोई दन्त कथा नही हैं,न ही कोई सस्ता मनोरंजन
यह उनके लिए है जो" ऊँचे " ब्रैंड के लिए हज़ारों ज्यादा दे सकते हैं।
   तो रश्मि ने एक पिज़्ज़ा लिया पाँच सौ का
मिला उसमे कॉकरोच
   बर्गर मे छिपकली भी मिली पर... जाने दीजिये
ब्रांड है तो सब कुछ हैं,यह सोच कर रश्मि खरीदारी करती रही थी।
  हद तो तब हुई जब वो जीन्स लेने एक मशहूर दुकान पे गई और एक आदमी वहाँ पर चार छ अच्छे ब्रांड के कपड़े अलग अलग बॉक्स मे  दुकानदार को दे रहा था।
   बाद मे उसने अलग से पूछ ही लिया कि कहाँ से लाया था,बताया कि करोल बाग की एक फैक्टरी मे सब माल बनता हैं
   जो भी ब्रांड बोलिये,उसके लेबल लगा दिये जाते हैं
लेवल लगा नही कि कीमत तिगुनी हो जाती हैं।
   आज रश्मि समझ से काम लेती हैं
हर तरह के ब्रांड को छोड़ वह अच्छी तरह सिले जीन्स और कपड़े लेती है और पैसा तो बचता ही है,कुछ काम गारों को भी रोज़ी रोटी मिलती हैं।