...

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ये लड़के भी ना जनाब..
हसरतों को दबाते हैं इच्छाओं को मारते हैं
जहाँ बोलना जरूरी हो वहां चुप रह जाते हैं
बात वो अपनी कभी समझा नहीं पाते हैं
कहना चाहतें हैं बहुत कुछ पर कह नहीं पाते हैं
इस मोहब्बत के नाजुक रिश्ते को बचाने में
वो खुद कहीं दबते चले जाते हैं
पता नहीं कौन सी मोहब्बत करते हैं
कि उसमें वो खुद कौन है भूल ही जाते हैं

ये लड़के भी ना जनाब
जो अपने घरों में बहुत शान से रहा करते हैं
मोहब्बत में पड़ ना जाने क्या बन जाते हैं

चलो यहाँ तक भी ठीक है
पर जब वो मोहब्बत एक दिन खत्म हो जाती है
फिर जो ये हालत अपनी कर जाते हैं
बोलने को भी कुछ बोला नहीं जाता इनको
एक मोहब्बत के लिये सच में
वो ना जाने क्या कुछ नहीं कर जाते हैं

ये लड़के भी ना जनाब
मोहब्बत में क्या कमाल के रिश्ते निभाते हैं..


© Jazbaat-e-Dil