दिव्यांग की दीवानगी
दिव्यांग की दीवानगी
गाँव में एक छोटा सा घर था, जिसमें एक वृद्ध महिला अपने पोते अर्जुन के साथ रहती थी। अर्जुन की माँ बचपन में ही गुजर गई थी और उसके पिता शहर में काम करने जाते थे। अर्जुन को अपनी दादी से बहुत प्रेम था, और वह उनके साथ समय बिताना पसंद करता था।
दादी का नाम सुमित्रा था। वह पूरे गाँव में अपनी हंसी-मजाक और चुलबुली बातें के लिए जानी जाती थीं। लेकिन एक दिन, गाँव में एक अजीब घटना घटी। सुमित्रा ने अचानक से अपने घर में दिव्यांग होने का नाटक करना शुरू कर दिया। उनकी यह हरकत गाँव के लोगों के लिए बिल्कुल अप्रत्याशित थी।
एक दिन, अर्जुन ने देखा कि...
गाँव में एक छोटा सा घर था, जिसमें एक वृद्ध महिला अपने पोते अर्जुन के साथ रहती थी। अर्जुन की माँ बचपन में ही गुजर गई थी और उसके पिता शहर में काम करने जाते थे। अर्जुन को अपनी दादी से बहुत प्रेम था, और वह उनके साथ समय बिताना पसंद करता था।
दादी का नाम सुमित्रा था। वह पूरे गाँव में अपनी हंसी-मजाक और चुलबुली बातें के लिए जानी जाती थीं। लेकिन एक दिन, गाँव में एक अजीब घटना घटी। सुमित्रा ने अचानक से अपने घर में दिव्यांग होने का नाटक करना शुरू कर दिया। उनकी यह हरकत गाँव के लोगों के लिए बिल्कुल अप्रत्याशित थी।
एक दिन, अर्जुन ने देखा कि...