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सबूत।
रेस्तरां में काॅफी पीते हुए विजय ने लाली से इतराते हुए कहा,प्यार करता हूं तुम्हें, बेहद खुश रखूंगा। झूठे कहीं के ,जाने कितनों से कही होगी तुमने यही बात। अरे नहीं ,सच किसी से नहीं कहा, आज तक। तुमसे तो बस प्यार ही हो गया है मुझे। विजय कुछ गंभीर अंदाज में वोला। अच्छा! चलो ठीक है, मान भी लें कि तुम हमें प्यार करते हो, चलो कुछ सबूत तो दो। जिससे ये साबित हो सके कि तुम मुझे बहुत चाहते हो, दे सकते हो कोई सबूत?लाली ने मुस्कुराकर प्रश्न किया।विजय ने कहा, वो भी किसी दिन दे ही दूंगा या तुम्हें खुद ही मिल जाएगा। लेकिन तब तक बहुत देर हो जाएगी विजय! मैं तो मजाक कर रही थी। बस तुम शायद मेरी किस्मत में नहीं हो, वरना तुमसे अच्छा कोई नहीं समझता मुझे। लाली उदास होकर वोली। दोंनों ने अपनी काॅफी खत्म की और विजय पेमेंट करने काउन्टर पर पहुंचा, पर लाली रोकते हुए बोली, नहीं विजय मैं देती हूं, आज देने दो। क्यूं आज, क्यूं?विजय ने हैरत भरी नजरों से लाली को देखते हुए पूछा। शायद हम कल से काॅफी साथ ना पी सकें। लाली की आँखें भर आईं।अब मैं नहीं मिल सकूंगी तुमसे ,खयाल रखना अपना विजय।कहा सुना माफ करना, बहुत सताया है ना मैने तुम्हें। अरे नहीं लाली, बस तुम मुझे बहुत पसंद हो पर शायद मेरी किस्मत में नहीं। दोंनों बाहर आए
ही थे कि अचानक एक कार तेजी से आई ,और आनन फानन में विजय जब तक अपने आप को संभाल पाता ,मगर जैसे ही उसने लाली को कार के सामने आते देखा, उसे बचाते हुए हाथ पकड़कर आगे आकर खींच लिया ,और विजय खुद कार के सामने से टकराकर दूर जाकर गिरा, लाली को तो बचा लिया था उसने, पर विजय बहुत तड़प रहा था। बहुत सारा खून सड़क पर वह गया था। लोग इकट्ठे हो गये थे। थोड़ी ही देर में विजय का शरीर शांत हो गया!अपने आप को जैसे बलिदान कर गया था वह,शायद इंसानियत जिंदा रखने के लिए, प्यार की अमरता, पावनता के लिए ।लाली रोये जा रही थी। उसके आँसू कह रहे थे, विजय , ये क्या किया तुमने। सच ही कह रहे थे तुम, तुमने दे ही दिया आखिर प्यार का सबूत।ये कैसा सबूत है विजय। ऐसा सबूत नहीं चाहा था मैने। कभी नहीं ,कभी नहीं।
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