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क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सिर्फ मुसलमानों के लिए हैं?
क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की आज़ादी सिर्फ मुसलमानों के लिए हैं आज ये प्रश्न हर हिंदुस्तानी के मन में उठ रहा हैं हमारे देश का संविधान हर नागरिक को समान अधिकार देता हैं हर नागरिक को बोलने की और उसकी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने कि आजादी देता हैं ऐसा हमारे भारत के महान संविधान में लिखा हुआ हैं लेकिन अभिव्यक्ति की आज़ादी आसान शब्दों में बोलने की आज़ादी ये भारत मे रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए कही गयी हैं लेकिन कुछ समय से लग रहा हैं कि ये सिर्फ मुसलमानों के लिए हैं कि उन्हें ही बोलने की आज़ादी हैं अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने की आज़ादी हैं।

आखिर ये बात क्यूँ उठ रही हैं इसका सबसे बड़ा कारण अभी कुछ दिनों में घटित हुई घटनाओं से इसका आकलन लगाया जा सकता हैं जैसे CAA को लेकर आंदोलन CAA में कही भी ये नही लिखा हुआ हैं कि भारत के मुसलमानों की नागरिकता छीनी जाएगी या उन्हें भारत से निकला जाएगा अपितु ये तो नागरिकता देने वाला कानून हैं लेकिन कुछ तथाकथित मुस्लिम धर्म के ठेकेदारों ने देश के मुसलमानों को इस कदर भड़काया इस कदर उनका माइंड डाइवर्ट किया कि उन्हें लगने लगा कि अगर ये कानून अमल में आ जाएगा तो हमे भारत छोड़कर जाना पड़ेगा इसे लेकर दिल्ली के शाहीन बाग में बाकायदा सड़क रोककर मुसलमनो ने अवरोध किया वो भी एक या दो दिनों के लिए कई महीनों के लिए यहां तक कि जब अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत दौरे पर आए तो प्रायोजित तरीके से दंगा फसाद किया गया लाखों करोड़ो की पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पोहोचाया गया पब्लिक प्रॉपर्टी जलाकर राख की गई ताकि अमेरिका के राष्ट्रपति के समक्ष हिंदुस्तान की भरपूर बेइज़ात्ति करवाई जा सके।

दूसरा उदाहरण भारतीय फ़िल्म जगत भारतीय फिल्म जगत बार बार अपनी हिन्दू विरोधी फिल्मों के माध्यम से हिन्दू देवी देवताओं व हिंदुओ की भावनाओ को ठेस पोहोचाता यानी उदहारण के लिए ....
१) पीके
२) ओ.माई. गॉड
३) सेक्रेड गेम्स
४ कृष्णा एंड इट्स लीला
५) रसभरी
और अभी हाली में रिलीज़ हुई वेब सीरीज प्रकाश झा द्वारा निर्मित व निर्देशित आश्रम जिसमे हिन्दू देवी देवताओं व हिन्दू धर्म गुरुओं का भरपूर अपमान किया गया हैं और भी कई ऐसी अनगिनत फिल्में हैं जिसमे हिंदुओ का हिदुओं की भावनाओ का हिन्दू देवी देवताओं का भरपूर अपमान किया जाता हैं परंतु इसपर सब शांत हैं क्यूंकि इन लोगो अभिव्यक्ति की आज़ादी हैं लेकिन सिर्फ हिन्दू देवी देवताओं की अन्य की नही।

तीसरा उदहारण भारत मे रहने वाले जयचंद जयचंद कोई काल्पनिक नाम नही जयचंद एक ऐसा व्यक्ति था जो भारत की खुफिया जानकारियां अंग्रेज़ो को दिया करता था उसी की भांति हमारे राष्ट्र में कई ऐसे अनगिनत जयचंद हैं जो कमाते खाते यहां हैं कि तरफदारी पाकिस्तान चीन और यह मुल्कों की करते हैं उदहारण के लिए....
१) मणिशंकर अय्यर
२)नवजोत सिंह सिद्धू
३) शाहरूख खान
४आमिर खान
५) शशि थरूर
६) राहुल गांधी
७) रविश कुमार

और भी कई ऐसे अनगिनत जयचंद हैं जो लगातार भारत का और हिंदुओं का अपमान करते हैं लेकिन उन्हें भी अभिव्यक्ति की आज़ादी हैं लेकिन सिर्फ हिंदुओ का अपमान करने की अन्य किसी वर्ग की नही।

चौथा उदहारण बंगलोर दंगे ये बंगलोर दंगे अभी हाल ही में हुए हैं किसी व्यक्ति ने प्रोफेट मोहम्मद साहब के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक बाते अपने फेसबुक पेज पर लिखी जिसका में कदापि समर्थन नही करता हूं जिसने भी ये किया उसे सजा मिलनी चाहिए परंतु कानूनी तरीके परंतु कुछ लोगो को इस देश के कानून व संविधान में विश्वास नही हैं वे खुद ही सजा देना चाहते हैं ऐसा ही बंगलोर में हुआ आधी रात को हज़ारो की संख्या में लोग बैंगलोर की सड़कों पर निकलते हैं और लाखों करोड़ो की पब्लिक प्रॉपर्टी को जलाकर राख कर देते हैं लेकिन उन्हें तो अभिव्यक्ति की आज़ादी हैं उन्हें कोई कुछ नही कहेगा, हमारे देवी देवताओं का अपमान होता हैं लेकिन उसके खिलाफ हम कुछ नही बोल सकते क्यूंकि हमे अभिव्यक्ति की आज़ादी नही हैं।

पांचवा उदहारण JNU में देश विरोधी नारे लगते अफ़ज़ल गुरु के समर्थन में नारे लगते हैं लेकिन उन्हें तो अभिव्यक्ति की आज़ादी हैं।

छटा उदहारण सुदर्शन न्यूज़ को आज़ादी नही हैं लेकिन NDTV और अन्य देशविरोधी चैनलों को पूरी आजादी हैं क्यूंकि वो हिन्दू विरोधी बात करते हैं लेकिन बाकी अगर किसी धर्म की असलियत दिखाना चाहे तो उन्हें अभिव्यक्ति की आज़ादी नही हैं ।

नसीरुद्दीन शाह, आमिर खान को अभिव्यक्ति की आज़ादी हैं लेकिन कंगना रनौत को नही हैं।

अंत मे येही कहना हैं कि एक धर्म को अभिव्यक्ति की आज़ादी हैं लेकिन दूसरे वर्ग को नही हैं ।

जय हिंद।

#politics #freedomofspeech #kangnaranaut



© Siddharth_Lohia