pyar ki shuruwat
## सफर की रात: एक नई शुरुआत
मैं, अमर, दिल्ली से हैदराबाद की ओर बढ़ता हुआ, ट्रेन के फर्स्ट एसी कोच में बैठा था। सफर लम्बा था, और मैंने सोचा था कि इसे किताबें पढ़कर और संगीत सुनकर बिताऊंगा। ट्रेन धीरे-धीरे स्टेशन छोड़ रही थी और मैंने खिड़की से बाहर देखते हुए खुद को विचारों में खो जाने दिया।
तभी एक नाज़ुक आवाज़ ने मेरी तंद्रा तोड़ी। "अमर?"
मैंने अपनी नज़र उठाई और देखा, सामने एक खूबसूरत लड़की खड़ी थी। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें, शरबती होंठ और खुली ज़ुल्फ़ें। मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई। ये नोशीन थी, जिसे सब प्यार से नूर बुलाते थे। नूर और मैं बचपन से लेकर 12वीं कक्षा तक साथ पढ़े थे, और आज इतने सालों बाद मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं था।
"नूर?" मैंने हैरानी से पूछा।
"हां, अमर! इतने सालों बाद पहचान भी नहीं पा रहे हो?" उसने मुस्कराते हुए कहा। उसकी मुस्कान ने मेरे दिल को छू लिया।
हम दोनों अपनी-अपनी सीटों पर बैठे, और बातें करने लगे। नूर मेडिकल की पढ़ाई करने हैदराबाद जा रही थी और मैं इंजीनियरिंग के लिए। ट्रेन के डिब्बे में और कोई नहीं था। यह रात सिर्फ हमारी थी।
बातें करते-करते वक्त का पता ही नहीं चला। नूर ने मुझे अपने कॉलेज की, दोस्तों की, और अपनी ज़िन्दगी की बातें बताई। मैंने भी अपने सफर के बारे में उसे बताया। हम हँसते, खिलखिलाते और पुरानी यादों में खो जाते।
रात गहराती जा रही थी और ट्रेन की हल्की-हल्की आवाज़ हमारे बीच संगीत बन गई थी। अचानक नूर ने कहा, "अमर, क्या तुमने कभी सोचा था कि हम यूं...
मैं, अमर, दिल्ली से हैदराबाद की ओर बढ़ता हुआ, ट्रेन के फर्स्ट एसी कोच में बैठा था। सफर लम्बा था, और मैंने सोचा था कि इसे किताबें पढ़कर और संगीत सुनकर बिताऊंगा। ट्रेन धीरे-धीरे स्टेशन छोड़ रही थी और मैंने खिड़की से बाहर देखते हुए खुद को विचारों में खो जाने दिया।
तभी एक नाज़ुक आवाज़ ने मेरी तंद्रा तोड़ी। "अमर?"
मैंने अपनी नज़र उठाई और देखा, सामने एक खूबसूरत लड़की खड़ी थी। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें, शरबती होंठ और खुली ज़ुल्फ़ें। मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई। ये नोशीन थी, जिसे सब प्यार से नूर बुलाते थे। नूर और मैं बचपन से लेकर 12वीं कक्षा तक साथ पढ़े थे, और आज इतने सालों बाद मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं था।
"नूर?" मैंने हैरानी से पूछा।
"हां, अमर! इतने सालों बाद पहचान भी नहीं पा रहे हो?" उसने मुस्कराते हुए कहा। उसकी मुस्कान ने मेरे दिल को छू लिया।
हम दोनों अपनी-अपनी सीटों पर बैठे, और बातें करने लगे। नूर मेडिकल की पढ़ाई करने हैदराबाद जा रही थी और मैं इंजीनियरिंग के लिए। ट्रेन के डिब्बे में और कोई नहीं था। यह रात सिर्फ हमारी थी।
बातें करते-करते वक्त का पता ही नहीं चला। नूर ने मुझे अपने कॉलेज की, दोस्तों की, और अपनी ज़िन्दगी की बातें बताई। मैंने भी अपने सफर के बारे में उसे बताया। हम हँसते, खिलखिलाते और पुरानी यादों में खो जाते।
रात गहराती जा रही थी और ट्रेन की हल्की-हल्की आवाज़ हमारे बीच संगीत बन गई थी। अचानक नूर ने कहा, "अमर, क्या तुमने कभी सोचा था कि हम यूं...