मेरे जाने के बाद
उदास न होना तुम,
अपनी आंखों को वीरान न होने देना
न जुल्फ़ों को बरहम;
देखना, लब ख़ामोश न हो।
कुछ करना अगर, तो बस इतना-
एक ख़त लिखना मेरे नाम का
उसमें सबकुछ कह देना तुम
जो कह न पाए अबतक...
अपनी आंखों को वीरान न होने देना
न जुल्फ़ों को बरहम;
देखना, लब ख़ामोश न हो।
कुछ करना अगर, तो बस इतना-
एक ख़त लिखना मेरे नाम का
उसमें सबकुछ कह देना तुम
जो कह न पाए अबतक...