...

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बहुत हुआ अब
मैं बर्दाश्त नहीं करूंगी नारी हूँ जानवर नहीं हूँ मुझे भी दर्द होता हैं मुझे भी तकलीफ़ होती हैं सब सोचते हैं औरत हैं नाजुक हैं हम उसके साथ कुछ भी कर सकते हैं क्या बिगाड़ लेगी हमारा यें तुम्हारी गलत फ़हमी हैं जिसे दूर करना चाहती हूँ औरत अपने ऊपर हों रहें
हऱ जुल्म क़े ख़िलाफ आवाज़ उठाना जानती
हैं अब हम औरतें अबला कमजोर बनकर
नहीं रहेंगी अब हम मर्दानी बनेंगी क्योंकि
हमें नाजुक समझ क़े लोग हमें दबाते हैं
हमें कमजोर समझकर आगे बढ़ने सें रोक
दिया जाता हैं मुजरिम हमारे साथ कुकर्म
करकें भी वों खुल्लेआम आज़ाद घूमते हैं
उल्टा हमें बेकसूर होते हुए भी लोग हमें
मुजरिम क़ी तरह देखते हैं हमें ताने मारते
हैं हमें घर पर रहने कों मजबूर किया जाता
हैं अपना मुँह बंद करने क़े लिए कहाँ जाता
हैं इसलिए अब हम नाजुक बनकर नहीं
रहना चाहती अब हम ताकतवर बनेंगी
संभल जाओ मुझ पर जुर्म अत्याचार
करने वालों अब हम तुम्हारा खात्मा
करेंगी !


© Purnima rai