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मिस रॉन्ग नंबर 14
#रॉन्गनंबर

~~~~ पार्ट 14 ~~~~

(जीत फोन आए लड़की की मदद के लिए निकलता है~~~~)

आखरी पल~~~~

ऐसे असाइनमेंट पर हम लोग अकेले नहीं जाते है.. मेरी दोस्त जो मेरी कलीग है, वो फोटोग्राफर के साथ वहां पहुंचने वाली थी...! किंतु कल क्या हुआ पता नही जो वे दोनों वक्त पर पहुंच ना पाएं, और मैं अकेले होने के कारण उस चक्रव्यूह में फंस गई... !

अब आगे~~~~

"मैं अंधेरे की ओट में उस घर में पहुंच तो गई थी, पर मुझे पता न चला की किसी ने मुझे घर में घुसते हुए या फिर शायद घुसने के बाद देख लिया था । ये बात मुझे तब पता चली जब मुझे शक हुआ की कोई शायद मेरा पीछा कर रहा है, पहले मुझे मेरे दोस्त हो सकते है लगा, इसलिए मैने उसेही कॉल करने के लिए फोन लगाया किंतु... चूंकि मेरा पहला फोन तुम्हे ही लगाया हुआ होने से, हड़बड़ी में दोस्त की जगह फिर से तुम्हे ही कॉल कर दिया था, तुम्हारी आवाज सुनने के बाद मुझे एहसास हुआ की कुछ गड़बड़ी हुई है.... और मैने फोन देखा तो पता चला की मैने गलतीसे तुम्हे कॉल कर दिया था...., तुम्हारा वैसे इस केस से कोई सरोकार नहीं होने से मैने तुम्हे... ओह... सॉरी रॉन्ग नंबर... कह कर फोन काट दिया था...! फिर से जब मैं अपनी फ्रेंड को कॉल लगा रही थी.... इतने में ... उस घर में जो कोई था.... उसने मेरे ऊपर हमला कर दिया था ।"

..... "हमला चूंकि काफी जोरदार हुआ था, और पीछे से होने के कारण मैं संभाल नहीं पाई और आधी बेहोश हालत में पहुंच गई....!"
"उसके खींचने के तरीके से मैने अंदाजा लगाया की वो एक लगभग सत्तर पचहत्तर साल का बुड्ढा आदमी है, किंतु उसमें ताकद का जोर उस हिसाब से अच्छा था...! लेकिन वह हाँफ भी रहा था...!"
"उस आधी बेहोशी हालत में भी मैं समझ पा रही थी, की हो न हो इसे सांसो से, या हृदय से संबंधित कोई तकलीफ तो जरूर होनी ही चाहिए..।"
"वह मुझे खींच कर, घसीटता हुआ अंदर के बड़े से हॉल में ले गया जहां उसने कुछ आकृतियां निकाली थी... सारी जगह मोमबत्तियों से रोशन हुई थी... उस आकृति के बीच पहले एक कपड़े की गुड़िया रखी हुई थी...! उसने घसीट कर मुझे उस एक आकृति के बीच में रखा...!"
"इस तरह फिर मैं उसके उस आकृतियों के बीच पहुंच गई... उसने वहां से वो गुड़ियां उठा ली...! मुझे घसीटते ले जाने की वजह से काफी जगह की आकृतियां फैल कर धुंधली हो गई थी...! वो उन आकृतियों को फिर से... कोई... , बड़े अजीबसे मंत्र बोलते हुए... आटा.. या किसी पावडर से उन्ही रेखाओं को दोहराता गया...! जब उसकी वो आकृतियां पूरी तैयार हो गई तब...."

कोमल कुछ सोचते हुए बोले जा रही थी...!


( क्रमशः ~~~~ )

(आगे की कहानी की प्रतीक्षा करिए... अगले अंक में हम फिर जल्द ही मिलेंगे आगे क्या हुआ जानने के लिए...) ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
© Devideep3612