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लैसवी हैयास का स्तंभ भाग (ग)
यह एक व्यर्थ बहाव में एक स्मृति की छवि का है, जो कि एक खराब आइने के बहाव की छवि या सृमति कहलाई जाती है जो कि इस तरह से क्रीड़ा स्वरूप तथ्य में सून्य ए स्वांग म्यान बुनियाद ए ईमारत में व्याप्त होकर रोगिन श्रेणी में पृष्ठ के रूपांतरण में व्याप्त होकर एक रितु में स्तंभ स्तुति स्तोत्र स्मृति के बेकार बहाव की छवि का आइने का प्रतीक होकर प्रतिबिम्ब में व्याप्त होकर वह एक तरफ आत्मदत्य का प्रसंग ना होकर के अंगदत्य प्रसंग में व्याप्त होकर रोगिन श्रेणी में पृष्ठ होकर भी वह सामान्य रूप से ग्रस्त एवं गुप्त एकमात्र विकल्प ए मन्तव्य में स्वयं की खोज का एक विज़न होकर और बनकर उभरती है।। वह विज़न जो द्वितीय दत्त श्रृंखला में भी उपवाद घोषित है, जो कि स्वयं की खोज में है जो कि उस बेकार बहाव की छवि में व्याप्त होकर उसकी वह तस्वीर भी एक उपवाद अर्थात एक बलिदान सहित योगदान एवं गुप्त साछयों की नीयू पर भी यह इस द्वितीय दत्त श्रृंखला में स्थापित हो जाए शायद मगर ऐसा तबी होगा जब
इस द्वितीय दत्त श्रृंखला में भी इसे व्यर्थ एवं बेकार छवि की त्रृष्टि से इसे द्वितीय दत्त श्रृंखला में स्थापित कर इसे सिद्ध घोषित करार देते हुए ही उसे स्वयं की खोज में भृमण कर इस तरह से क्रीड़ा स्वरूप तथ्य में निहित होकर रोगिन श्रेणी में व्याप्त एवं गुप्त प्रष्ठक में अंगदत्य प्रसंग घोषित करार देते हुए एक बेकार उपवाद अर्थात एक व्यर्थ...