मेरा स्वच्छ भारत
#वोट
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी। कोई कह रहा था मोदी का स्वच्छता अभियान सुचारू रूप से चल रहा है, कोई कह रहा था कुछ भी नहीं यार सब कुछ वैसा का वैसा है, जहां देखो वहां कचरे के ढेर है ,तीसरा बोल उठा कचरा फैको नहीं रास्ते पर तो आएगा कैसे, तीसरे ने सोचने वाली बात कही, घर की तरह बाहर की भी सफाई रखें तो कचरा होगा कैसे.. मुद्दे कई चर्चाएं तो होती रहेगी, बदलाव की हर कोशीश करनी होगी.. अमा छोड़ो इन चर्चाओं को बिछाओ ताश के पत्ते खेलते हैं.. यार तास को छोड़ो विकास की बात करते हैं ..इतनी बड़ी उम्र में मोदी कर सकता है ..तो हम क्यों नहीं ..चलो आज अपने देश की बात कर लेते हैं.. अपने घर के बाहर सुबह थोड़ी-थोड़ी झाड़ू लगाएंगे.. अपने अपने हिस्से का रोड साफ रखेंगे.. इतना तो यार कर लेंगे.. सुबह काफी वक्त होता है ..चलो यहीं से शुरूआत करते हैं.. दोस्तों ने एक दूसरे की बात का मान रख लिया सुबह होते ही सबने अपना अपना काम कर दिया, घर के लोगों को डांट लगाई, कोई घर के बाहर रोड पर कचरा फैकेगा नहीं, लो हो गई शुरुआत नए भारत की, चाय की टपरी से शुरुआत हुई , बुलंदियां छूना है थोड़ी-थोड़ी शुरुआत सब करते हैं, जो जहां है वहां से काम करें हो जाएगा हिंदुस्तान साफ, मोदी को नमस्कार लाए हैं नया अभियान, कहते हैं उसको "स्वच्छ भारत अभियान "अभियान सफल करने के लिए जितने नागरिक उतनो को प्रयास करना होगा, बूंद बूंद से घड़ा भरता है, हाथ में हाथ पकड़ने से कतार बनती है ,बैठे रहने से कुछ होगा नहीं, हाथ में झाड़ू उठानी होगी ,कुडे का उपयोग करना होगा, खाद के रूप में, खाद बनाना कोई कठिन काम नहीं, बड़ा ही आसान है ,एक दिन नगर निगम के कर्मचारी आए थे मेरे घर पर, खाद बनाने का तरीका सिखा रहे थे, कुछ खाद मुझे देकर गए आप नहीं बना पाऊं तो आगे आने वाले कर्मचारियों को यही खाद दिखा देना ,कहना हमने बनाई है, शर्म से मेरा सर झुक गया ,हिंदुस्तान को महान कहते हैं, ऐसे लोग शर्मसार करते हैं, नगर निगम ने भेजा था खाद बनाना सिखाने के लिए, वे तो मुझे भ्रष्टाचार सिखा रहे थे ,मैंने कर दिया नौ दो ग्यारह..!!
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी। कोई कह रहा था मोदी का स्वच्छता अभियान सुचारू रूप से चल रहा है, कोई कह रहा था कुछ भी नहीं यार सब कुछ वैसा का वैसा है, जहां देखो वहां कचरे के ढेर है ,तीसरा बोल उठा कचरा फैको नहीं रास्ते पर तो आएगा कैसे, तीसरे ने सोचने वाली बात कही, घर की तरह बाहर की भी सफाई रखें तो कचरा होगा कैसे.. मुद्दे कई चर्चाएं तो होती रहेगी, बदलाव की हर कोशीश करनी होगी.. अमा छोड़ो इन चर्चाओं को बिछाओ ताश के पत्ते खेलते हैं.. यार तास को छोड़ो विकास की बात करते हैं ..इतनी बड़ी उम्र में मोदी कर सकता है ..तो हम क्यों नहीं ..चलो आज अपने देश की बात कर लेते हैं.. अपने घर के बाहर सुबह थोड़ी-थोड़ी झाड़ू लगाएंगे.. अपने अपने हिस्से का रोड साफ रखेंगे.. इतना तो यार कर लेंगे.. सुबह काफी वक्त होता है ..चलो यहीं से शुरूआत करते हैं.. दोस्तों ने एक दूसरे की बात का मान रख लिया सुबह होते ही सबने अपना अपना काम कर दिया, घर के लोगों को डांट लगाई, कोई घर के बाहर रोड पर कचरा फैकेगा नहीं, लो हो गई शुरुआत नए भारत की, चाय की टपरी से शुरुआत हुई , बुलंदियां छूना है थोड़ी-थोड़ी शुरुआत सब करते हैं, जो जहां है वहां से काम करें हो जाएगा हिंदुस्तान साफ, मोदी को नमस्कार लाए हैं नया अभियान, कहते हैं उसको "स्वच्छ भारत अभियान "अभियान सफल करने के लिए जितने नागरिक उतनो को प्रयास करना होगा, बूंद बूंद से घड़ा भरता है, हाथ में हाथ पकड़ने से कतार बनती है ,बैठे रहने से कुछ होगा नहीं, हाथ में झाड़ू उठानी होगी ,कुडे का उपयोग करना होगा, खाद के रूप में, खाद बनाना कोई कठिन काम नहीं, बड़ा ही आसान है ,एक दिन नगर निगम के कर्मचारी आए थे मेरे घर पर, खाद बनाने का तरीका सिखा रहे थे, कुछ खाद मुझे देकर गए आप नहीं बना पाऊं तो आगे आने वाले कर्मचारियों को यही खाद दिखा देना ,कहना हमने बनाई है, शर्म से मेरा सर झुक गया ,हिंदुस्तान को महान कहते हैं, ऐसे लोग शर्मसार करते हैं, नगर निगम ने भेजा था खाद बनाना सिखाने के लिए, वे तो मुझे भ्रष्टाचार सिखा रहे थे ,मैंने कर दिया नौ दो ग्यारह..!!