दुनिया
ये दुनिया जंगल है और आसपास सिर्फ जानवर बसते हैं। जो अपनी अनैतिक और असंगत क्षुधा मिटाने के लिए सिर्फ आपका शरीर ही नहीं नोचते , आपका ख़ून ही नहीं पीते बल्कि आपके जीवन की हर छोटी- बड़ी खुशी पर घात लगाकर बैठे रहते हैं।
वो अपने नाखूनों और पंजों को हर वक्त इसी ताक में तैयार रखते हैं कि कब उनसे आपके चरित्र , आपके आत्मसम्मान , आपके जीवन में जो कुछ थोड़े से संतोष और आदर्शों को चीर-फाड़ सकें।
कभी-कभी लगता है ये दुनिया जीने लायक रही नहीं । धर्म ,जाति , लिंग में बंटा हुआ एक व्यक्ति इंसान छोड़कर बाकी सबकुछ है। किसी से प्रेम भी करता है तो वक्ती जरुरतों को पूरा करने के लिए। किसी से रिश्ता जोड़ता है तो अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए। कभी- कभी यहां से भाग जाने का जी करता है पर इंसान भागे भी तो कहां जाएं ?
© khak_@mbalvi
वो अपने नाखूनों और पंजों को हर वक्त इसी ताक में तैयार रखते हैं कि कब उनसे आपके चरित्र , आपके आत्मसम्मान , आपके जीवन में जो कुछ थोड़े से संतोष और आदर्शों को चीर-फाड़ सकें।
कभी-कभी लगता है ये दुनिया जीने लायक रही नहीं । धर्म ,जाति , लिंग में बंटा हुआ एक व्यक्ति इंसान छोड़कर बाकी सबकुछ है। किसी से प्रेम भी करता है तो वक्ती जरुरतों को पूरा करने के लिए। किसी से रिश्ता जोड़ता है तो अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए। कभी- कभी यहां से भाग जाने का जी करता है पर इंसान भागे भी तो कहां जाएं ?
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