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मन के भाव
सीता विज्ञान स्नातक की शिक्षा ले रही थी ,और इसीलिए वह अपने शहर को छोड़कर एक दूसरे शहर में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती थी।

पर सीता की एक अच्छी बात यह थी कि वह घर से बाहर की दुनिया में निकली थी ,परंतु उसके अंदर कोई खास बदलाव नहीं थे वह रोज की तरह अपने सारे काम करके पूजा करके तब वह कॉलेज जाया करती थी।

सीता बेबाक थी और मिलन सार फालतू की बातें में उलझती नहीं थी, इसलिए उसके मित्र थे क्लास के लोग उसके साथ सम भाव रखते थे।

वह अपने केमिस्ट्री सर के प्रति आकर्षित थी, सर के आने के पहले ही क्लास में पहुंच जाती थी।

और सर के सामने वाली सीट पर वह बैठा करती थी ,और सर जो सवाल जवाब देते थे वह सीता पढ़ कर भी आती थी ताकि वह अपने सवाल जवाब अच्छे से दे सके और सर को इंप्रेस कर सके।

सर यह सब नोटिस करते थे ,और वह भी इसको इग्नोर किया करते थे, सर आकर पढ़ाते थे और हंसी मजाक करके चले जाया करते थे।

सीता भी बीच-बीच में हंसी मजाक करती थी और पढ़ने में बहुत ही मन लगाया करती थी, एक दिन सब क्लासेस चल रही थी अचानक बहुत शोर क्लास तक आ रहा था। सारे छात्रऔर सीता क्लास के बाहर
झांकने लगे उन्होंने देखा कि वहां पर बहस चल रही थी। केमिस्ट्री सर से और हेड ऑफ़ डिपार्मेंट से सब लोग इकट्ठा हो गए थे और इस बहस को सब देख रहे थे।

सीता को बहुत बुरा लग रहा था उसको लग रहा था कि आज उसके सर को हारना नहीं चाहिए, आज वह जीते और उन्हीं की जीत हो और यह वह बहस देखते देखते अपनी प्रार्थनाओं में कह रही थी।

अचानक से सर ने देखा की सीता के चेहरे का भाव उड़ा था और सीता ने भी उसी वक्त सर को देख लिया । थोड़ी लड़ाई बंद हुई और केमिस्ट्री सर ही जीत गए उसे वक्त सीता के चेहरे का भाव था वह बहुत ही अच्छा था और वह खुश थी और उसने कहा कि मुझे पता था मेरे सर ही जीत जाएंगे। दूसरे दिन जब सर क्लास में आए तो सीता ने कहा सर मिठाई नहीं खिलाएंगे तो सर बहुत तेज से हंसे और थोड़ा झिझके भी , परंतु सर ने कहा कौन सी मिठाई खाओगी वही मैं कल ले आऊंगा सीता ने कहा सर आपको जो पसंद है वही मैं खाऊंगी।

दूसरे दिन सर मिठाई लेकर आए क्लास में और सीता को ही पूरी मिठाई का डिब्बा दे दिया और कहां जो तुमको खाना होगा खा लेना और पूरी क्लास में तुम बांट देना सीता खुश हो गई तभी सीता ने कहा सर आपको पता है आप मेरे एकदम पापा की तरह लगते हैं ,आपका जो फैसियल एक्सप्रेशन है वह एकदम मेरे पापा की तरह है।

सर ने यह बात जब सुनी वो मुस्करा रहे थे , और बोले सीता मन लगाकर पढ़ाई करना तुम्हें बहुत आगे जाना है।


"कहानी से यह शिक्षा मिलती है कई बार हमारे जो मन में रहता है वह हमारा करीबी अपने आप ही समझ जाता है वहां शब्दों की जरूरत नहीं पड़ती"

© Ankita