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अजीज शख्स
काश कोई दिन होता कि अपने अधूरे सफर को मंजिल तक पहुंचाते | किसी फागण आली रात तुम्हारे घर आकर तुम्हें अपनाते | आकर तुम हमारे घर की शोभा बढ़ाते | यूं देख कर तुमको हमारे सुने खेत खलियान महक जाते | इक ख्वाब कितना सुन्दर... हमारे बहन-भाइयों में तुम रंगों की तरह घुलमिल जाते | हमारे मम्मी पापा को भी तुम हमसे ज्यादा चाहते || तुम्हारे इक रोज दर्शन से खुद को हम पावन बनाते रात को सुलाते तुमको, सुबह जगाने के लिए हमको तुम कंगन खनकाते || घर पर आता कोई मेहमान खिलाते तो बाद में अपनी मीठी बोली से उन्हें बहलाते || इक रोज ना सही कभी-कभार तो तुम्हें मंदिर मस्जिद में सजदा कराते
|| कभी खेलते तुम्हारे साथ बहुत अच्छे लगते हो मुस्कुराते हुए खुद को हराकर तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान ले आते || हमारी आदत है अपनों को चिढ़ाने की हर बात पर तुम्हें चिढ़ाते तुमसे रूठते तुमको मनाते || क्या कहें ए जिंदगी तुमसे हमारे वहम का सपना किसी संत ने तोड़ दिया माफ करना, हम जिंदगी के आगे हार गए हमने बीच मझधार में आकर तुम्हें छोड़ दिया... तुम्हारे पूरे होते ख्वाबों को इक पल में हमने तोड़ दिया...|| यूं रहेंगे उम्र-भर तुम्हारे दरम्यां जाते बादल में, कुछ मीठे ख्यालों में ,तुम्हारे उनके सवालों में, वैसे दुआ करेंगे रब से कि तुम्हें कोई कमी नहीं रहेगी | तुम वादा करो हमसे कि तुम्हारी आंखों में कभी कोई नमी नहीं रहेगी || हमको ढूंढना यूं कुछ ऐसे जैसे तुमने उनमें हमको पा लिया हो...| मर जाते हैं प्रेम के पागल आवारा बेगैरत किरदार, लेकिन हम मान लेंगे तुमने प्रेम में हमको अमर कर दिया हो...|| तुम बहुत समझदार हो यूं रो-रो कर ना तुम हमें खोओगे | अपने साख में हमारे संस्कार पिरोओगे...|| हम तुम्हारी आंख के पावन जल तुम इस जल को ऐसे खोओग...||
written by my veer ji🥰