अजीज शख्स
काश कोई दिन होता कि अपने अधूरे सफर को मंजिल तक पहुंचाते | किसी फागण आली रात तुम्हारे घर आकर तुम्हें अपनाते | आकर तुम हमारे घर की शोभा बढ़ाते | यूं देख कर तुमको हमारे सुने खेत खलियान महक जाते | इक ख्वाब कितना सुन्दर... हमारे बहन-भाइयों में तुम रंगों की तरह घुलमिल जाते | हमारे मम्मी पापा को भी तुम हमसे ज्यादा चाहते || तुम्हारे इक रोज दर्शन से खुद को हम पावन बनाते रात को...