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"शर्तिया चंदन: नई उम्मीद की कहानी"
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।
एक दिन, एक बड़ी हवेली के बगीचे की ओर चलते हुए, उसने अपनी शर्त रख दी। वह जैसे ही वहाँ पहुँचा, उसने देखा कि आम वृक्षों की नीव ने अच्छे से झूल रही थीं। वे आम नीचे टूटे हुए थे और उनकी खेती का कोई ध्यान नहीं रखा गया था।च
ंदन ने अपनी कोहनियों को उठाने का निर्णय किया और आम तोड़ने लगा। धीरे-धीरे, एक-एक करके, उसने दस आम तोड़ लिए।
उसने अपनी उपलब्धियों का तिरस्कार किया और उन्हें अपने शर्त की पूरी करने का एक नया उदाहरण माना।
जब वह उस बड़ी हवेली के द्वार पर वापस आया, तो उसने देखा कि द्वारपाल वहाँ खड़े थे।
वे उसके हाथों में लाए गए आमों को देख कर हैरान रह गए।
"तुमने इतने सारे आम तोड़ लिए?" द्वारपाल ने आश्चर्य से सवाल किया।
"हाँ," चंदन ने उत्साह से उत्तर दिया, "मैंने वह शर्त लगाई थी और मैंने उसे पूरा किया।"द्व
ारपाल की आँखों में आश्चर्य और सम्मान का अनुभव था।
उसने चंदन की संकल्पना और उसकी मेहनत को सराहा। ...