...

110 views

काली चुड़ैल
आप सब के लिए एक छोटा सा किस्सा और लेकर आया हुँ, लेकिन ये किस्सा कोई झूटा या काल्पनिक नही है, ये किस्सा सच से प्रभावित है।

चलो शुरू करते है, इस किस्से को बिना किसी प्रकार की देर किए बिना। ये किस्सा है, एक मुन्नी नाम के लड़के का।
जो हर रोज की तरह अपने पिता के लिए जंगल मै खेतों पर रोटी लेकर जाता था,
लेकिन आज तक। उसे कभी रात को जाते हुए डर नही लगा।

ना ही किसी चीज ने उसका रास्ता रोका, लेकिन शायद उस रात उसके साथ वो घटना होनी ही थी।

ये बात है उस डरावनी रात की, जिस दिन मुन्नी को, खाना लेकर जाने मै। ज्यादा देरी हो गई, लेकिन मुन्नी बिना डरे खाना लेकर घर से निकल गया।
और अपने पिता के पास खेतों की और, चलने लगा। मुन्नी मजे से अपने पिता के पास खाना लेकर पहुँच गया, बिना किसी परेशानी के।
और अपने पिता को खाना खिलाने के बाद घर जाने के लिए कहने लगा,
और मुन्नी के पिता ने कहा, बेटा तुम हाथ मै। अपने कोई, लकड़ी लेकर जाना। रात काफी हो गई है, कोई जानवर ना मिल जाए।

लेकिन मुन्नी को, कहाँ कोई डर था। वो तो अपनी मस्ती मै, गाने गाते हुए घर की तरफ जा रहा था।
जैसे ही वो, अपने खेतों से दुर गया।
मुन्नी ने देखा की उसके सामने, एक 30 से 35 वर्ष की एक औरत। उसके सामने कहीं से आ गई, और वो मुन्नी के आगे चल रही थी। मुन्नी को लगा वो कोई गाँव की ही औरत है, इसलिए मुन्नी भी उसके पिछे-पिछे चलने लगा।

उस औरत ने काले रंग के कपड़े पहने हुए थे, वो भी आधी बजु के। और उसके हाथ देखने मै, बिल्कुल काले थे।
और मुन्नी को पता भी नही था की, आज जुमेरात का दिन है, और जुमेरात को भूतों का राज होता है।
ऐसा बड़े-बूढ़े कहते है, मुन्नी को ये भी कहाँ पता था। कि आज रात उसके साथ क्या होगा, वो तो बिना सोचे समझे। बस अपनी मस्ती मै, बस उस औरत के पिछे ही चल रहा था।
कुछ देर बाद मुन्नी ने अपने गाँव की तरफ,
चलने के लिए। रूख किया और अपने धूल भरे पेरों को झाड़ कर, उसने अपनी आँखों को उठा कर जो सामने के तरफ। कि अचानक से, उसके सामने बिल्कुल उसके चहरे के करीब। उस औरत का चहरा,
और मुन्नी की उस चहरे को देख कर जोरदार चींख निकल गई।
और पुरे जंगल मै, गूँज गई।
और मुन्नी वहाँ से चींखता हुआ, भागा क्योंकि वो औरत नही थी। वो थी काली चुड़ैल,

और मुन्नी ने जो रूप उसका देखा था, वो रूप शायद ही किसी के ज़हन से निकल पाए।
मुन्नी उस चुड़ैल से कैसे भी जान बचा कर, घर पहुँच गया। लेकिन मुन्नी कुछ नही बोला, कितनी रातों तक रोता रहा।
और आज भी मुन्नी से उस चुड़ैल के बारे मै, कुछ बुझने कि कोशिश करते है। तो रोते हुए कहता है, वो बहुत भयानक थी। वो काली चुड़ैल मुझे मार डालेगी, उसका चहरा नही था, बस हड्डी थी, और खून से भरी हुई। आँखे थी जो मुझे घूर रही थी, मुन्नी अब भी कभी-कभी रात मै, डर जाता है।
लेकिन तभी से मुन्नी कभी जंगल मै नही गया, वो कहता है काली चुड़ैल वहीं है।

यहीं पर ये किस्सा समाप्त हुआ, आगे भी अपके लिए। नए किस्से, कहानीयाँ लिखता रहुँगा।


© SK BHARAT