...

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मौसम
चल पड़ी बसंती बयार
मौसम हुआ खुशगवार।
बाग में तितलियां आने लगीं हैं
भंवरे मंडराने लगे हैं।
चलो अपनी बगिया संवारे
बीच-बीच में चल पड़ती
है शीत लहर भी
सर्दी है डराती।
पुनः -पुन: लौट कर आती
रजाई गद्दों में घुस जाने
को विवश है करती।
लेकिन बगिया को भी है संवारना
ये सर्दी तो है दो चार दिन की
तैयारी करनी है आने वाले मौसम की।
गर्मी के फल सब्जी है बीजने (बीज बोना)।
नये पौधो की कटिंग है लगानी।
कुछ पौधो की कटाई -छटाई है करनी
अभी करनी है तैयार
तरह -तरह की खाद
कुछ पौधो की गुड़ाई है करनी
और कुछ की है सिंचाई करनी।
अनार,आड़ू खरबूज, तरबूज फलेगें
तोरी की बेल परवान चढ़ेगी
कचरी की बेल भी खूब चलेगी।
बाजरे की कलगी ईतराएगी
गेहूं की बाली शान दिखाएगी।
चम्पा जूही चमेली मोगरा महकेंगे।
यदि तैयारी अभी से कर ली ।
© सरिता अग्रवाल