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तालमेल
संवाद तो वैसे भी ज़रूरी ही था,ताकि रिश्ते बिगड़ने से बच पाये….रिश्ते का बिगडना वैसे तो नामुमकिन सा है…तालमेल जो बेहतर है हम दोनों के बीच….अच्छी बात यह है कि मन में कोई दुविधा नहीं रखना इसलिए हम दोनों के बीच का संवाद रिश्ते को हानी नहीं पहुँचाता।
साफ़गोई से तुम्हारे द्वारा अपना पक्ष रखना….और यह भी ध्यान रखना कि मुझे बुरा ना लगे…..कमाल की सुझबुझ है यारा….कैसे कर लेती हो ये सब…..क्या सँभालना सिर्फ़ तुम्हें ही आता है? तुम ही पहल करती हो…..तुम ही बातों को तूल नही देती…..कमाल है नं……मै पुरुष जाति का…..अकड शायद पुल्लिंग नाम में पैदाइशी आती हो……हथीयार डलवा देती हो तुम…..लडने के पहले ही मैदान में सुलह सिर्फ़ तुम ही कर सकती हो…..हम मर्दानगी का लोहा मनवाने में माहिर…..तुम्हारे तर्क के सामने निःशब्द होना यह मेरी पराजय ना होते हुए हमारी जीत का जश्न हमसे ही मनवाना कोई तुमसे सिखें……चलो….आज मै तुम्हारे लिए कॉफी बनवाता हूँ….. वैसे भी हमारे बीच की छोटी छोटी शर्तों में जो हारता है वहीं कॉफी बनाता है ना….
अच्छा सुनो…..चीनी आज थोडी ज़्यादा चलेगी नं….रिश्ते की जीत में थोडा मिठा तो बनता है….है नं
❤️❤️
© ख़यालों में रमता जोगी