...

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कमाल की बात बताऊं
क्या तुम्हें तैरना आता है..?
दरअसल, मुझे किनारे तक जाना है।
हा-हा..
अरे नहीं..!
मज़ाक था.. मुझे तैरना आता है..
इस गहरे समुंदर में लहरों से खेलती हुई मैं किनारे तक जा सकती हूँ।
मगर सच कहूँ तो अब समुंदर से बाहर आना मुझे असहज कर रहा है। मैं डूब जाना चाहती हूँ.. शायद हमेशा-हमेशा के लिए समुंदर की गहराई में खो जाना चाहती हूँ।
मैं वापस अब किसी को मिलना नहीं चाहती।
बहुत समय तक अगर नापसन्द खिचड़ी भी खाओ...