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तपस्या:-
तपस्या एक ऐसा शब्द जिसका नाम लेते ही दिमाग में केवल साधु ,संत घूमने लगते।पर ऐसा नहीं।
जीवन में तपस्या शब्द आपके विशेष होने का प्रमाण है।
आसानी से जो चीजे नहीं मिलती वो अप्रतिम होती हैं।
जैसे शिव को पति रूप में पाने जगदम्बा ने कि थी कितनी कठिन तपस्या..... सप्त ऋषि आते हैं,परीक्षा लेने यही बैठे बैठे घुल जाओगी शिव कभी नहीं मानेंगे ये शब्द कहते हैं।
गोस्वामी तुलसीदास ने इसको अपने शब्दों कुछ इस तरह बताया है ("पार्वती मंगल" नाम के ग्रंथ में) ये सुन ये पार्वती कहती हैं..... " कोटि जन्म लगे रगड़ हमारी वर हुं शम्भु ना तो
र हुं कुंवारी"।
एक नहीं करोड़ों जन्म भी लेने पड़े वरूंगी में शम्भु को ही।
तपस्या सफल होती है उनकी।



तपस्या की थी राम ने रावण जैसे शक्तिशाली को हराने को ,चौदह साल तपस्या वनवास की।
खुद शिव के शिवत्व को प्राप्त करने में है कठिन तपस्या।

आज के समय में अपने लिए की गई खुद की मेहनत ,तपस्या की तुलना उन लोगों से कभी ना कीजिए जिन्होंने कभी किसी चीज के लिए सब्र किया ही नहीं उन्हें सब मिलता चला गया।
उन्हें पता ही नहीं adjustment कहते किसे हैं।
उन्हें पता ही नहीं श्रम का पसीना सुगंध देता जीवन भर की , कि देता दुर्गन्ध है।
तपस्या .... आपकी आपको बहुत कुछ देगी।।

समीक्षा द्विवेदी
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