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उपन्यास समीक्षा
जी मेरा मतलब है की हाथों में हाथ लेकर, देर तक यूं ही बैठे रहना। आंखों में आंखें डालकर देर तक यूं ही गाने सुनना और बाहों में झूमना। कॉफी पीते हुए किताबों और कविताओं पर बातें करना। बिना किसी प्लान के अचानक लॉन्ग ड्राइव पर चले जाना। बारिश में नाचना... कितना कुछ है ना,प्यार में।"नाम्या ने प्यार भरे रिश्ते ' की अपनी परिभाषा बताई।
"हां ये तो है! लेकिन क्या कर सकते हैं, प्यार दरअसल इन्ही खुबसूरत चीजों से शुरू हो कर आख़िर में बिस्तर पर जाकर खत्म हो जाता है।"सिया ने सीधे सपाट शब्दों में अपनी बात समझाई।
🖕 किताब के अंश
' बेहया ' इस उपन्यास की लेखिका विनीता अस्थाना जी हैं। विनीता अस्थाना जी पत्रकारिता में परस्नातक हैं। इनकी लिखी 'बेहया' उपन्यास कहीं - न - कहीं लोगों की इस धारणा को की बाहर जॉब करने वाली...