नारी मन...
कहते है, नारी मन की थाह तो नारायण भी नहीं पा सकते l इसे एक अकाट्य सत्य के रूप में मान लिया गया है और समय समय पर इसी वक्तव्य से, सत्य कहे तो, खुद को बचाने का सफल प्रयास भी किया जाता है l
नारी यदि समन्दर से भी ज्यादा गहराई रखती है तो वो पानी सी सरल भी होती है l उसे समझना जितना आसान होता है उतना ही कठिन उसे भेदना होता है l ये मानव की सबसे बड़ी कमजोरी है कि वो जटिल को सुलझाता है, सरल पर ध्यान नहीं देता l
एक पुरुष के लिए किसी भी स्त्री को हासिल करना शायद ज्यादा कठिन नहीं, किंतु उसको पा लेना यकीनन कठिन है l क्योंकि अपने सरल स्वभाव वश वो भरोसा बहुत जल्दी करती है l
पाषाण सी मजबूत, दृढ़ निश्चयी, और निडर होकर भी वो एक कोमल बेल के समान हर रिश्ते में, पुरुष के किसी ना किसी रूप में सहारा खोजती है l
जब वही नारी पत्नी रूप में जीवन में आती है तो पुरुष के सोचने और उसे देखने के मापदंड बदल जाते है l क्यूँ ?
एक पुरुष कभी समझ नहीं पाता कि उसकी महत्ता एक नारी मन में क्या है? नारी अपना पूरा व्यक्तित्व ही बदल देती है l उसकी सारी दुनिया एक ही इन्सान के इर्द गिर्द घूमती है l उसकी खुशी, उसका गम, उसकी अवहेलना या उसका प्रेम, नारी के मन और आचरण पर सीधा असर करता है l एक शब्द भी उसे ताकत दे सकता है या तोड़ कर बिखेर सकता है l कभी आपने गौर किया, कि आखिर उसे चाहिए क्या आपसे ?
नारी में स्वाभिमान कूट कूट कर भरा होता है l उसे अपनी शक्तियों और हदों का अंदाज़ा बखूबी होता है, फिर भी वो हर फैसले या छोटी छोटी बात के लिए पुरुष की ओर देखती है l उसकी हर बात मान लेती है l हर वो प्रयास करती है, जिस से उसे खुशी मिले l लेकिन यहीं उसके इस त्यागपूर्ण स्वभाव की पुरुष अवहेलना करता है l बस, यही से दूरियाँ बनती है l
जब तक संभव होता है वो अथक प्रयास करती है हर रिश्ते को बचाने और परिपक्व करने का l किंतु पुरुष की अवहेलना और रिश्ते की मर्यादा और गरिमा का हनन, उसके भरोसे और अस्तित्व को अंदर तक तोड़ देता है l पाषाण हो जाती है वो, एक श्वास लेती मृत देह के समान l अक्सर पुरुष इसमें भी अपनी जीत समझता है, पर सत्य ये है कि कहीं ना कही, किसी हद तक, वो उसे खो चुका होता है l
आपको अपने आस पास ऐसे कई चेहरे मिलेंगे जो स्थिर है, एक चाबी लगी मशीन की भाँति रोजमर्रा की जिंदगी जी रही होती है पर वो जीवित नहीं होती l
उसके बाद भी एक आस, कि कल सब ठीक हो जायेगा, कभी नहीं टूटती l यही है नारी के सरल स्वभाव का परिचायक..... समय रहते उसकी इस आस को पूर्ण रूप से मृत होने से बचाने का प्रयास, शायद उसके अंदर फिर से जीवन जीने की इच्छा को जागृत कर दे ..... एक बार सोचियेगा जरूर......
त्रुटि के लिए क्षमा 🙏
© * नैna *
नारी यदि समन्दर से भी ज्यादा गहराई रखती है तो वो पानी सी सरल भी होती है l उसे समझना जितना आसान होता है उतना ही कठिन उसे भेदना होता है l ये मानव की सबसे बड़ी कमजोरी है कि वो जटिल को सुलझाता है, सरल पर ध्यान नहीं देता l
एक पुरुष के लिए किसी भी स्त्री को हासिल करना शायद ज्यादा कठिन नहीं, किंतु उसको पा लेना यकीनन कठिन है l क्योंकि अपने सरल स्वभाव वश वो भरोसा बहुत जल्दी करती है l
पाषाण सी मजबूत, दृढ़ निश्चयी, और निडर होकर भी वो एक कोमल बेल के समान हर रिश्ते में, पुरुष के किसी ना किसी रूप में सहारा खोजती है l
जब वही नारी पत्नी रूप में जीवन में आती है तो पुरुष के सोचने और उसे देखने के मापदंड बदल जाते है l क्यूँ ?
एक पुरुष कभी समझ नहीं पाता कि उसकी महत्ता एक नारी मन में क्या है? नारी अपना पूरा व्यक्तित्व ही बदल देती है l उसकी सारी दुनिया एक ही इन्सान के इर्द गिर्द घूमती है l उसकी खुशी, उसका गम, उसकी अवहेलना या उसका प्रेम, नारी के मन और आचरण पर सीधा असर करता है l एक शब्द भी उसे ताकत दे सकता है या तोड़ कर बिखेर सकता है l कभी आपने गौर किया, कि आखिर उसे चाहिए क्या आपसे ?
नारी में स्वाभिमान कूट कूट कर भरा होता है l उसे अपनी शक्तियों और हदों का अंदाज़ा बखूबी होता है, फिर भी वो हर फैसले या छोटी छोटी बात के लिए पुरुष की ओर देखती है l उसकी हर बात मान लेती है l हर वो प्रयास करती है, जिस से उसे खुशी मिले l लेकिन यहीं उसके इस त्यागपूर्ण स्वभाव की पुरुष अवहेलना करता है l बस, यही से दूरियाँ बनती है l
जब तक संभव होता है वो अथक प्रयास करती है हर रिश्ते को बचाने और परिपक्व करने का l किंतु पुरुष की अवहेलना और रिश्ते की मर्यादा और गरिमा का हनन, उसके भरोसे और अस्तित्व को अंदर तक तोड़ देता है l पाषाण हो जाती है वो, एक श्वास लेती मृत देह के समान l अक्सर पुरुष इसमें भी अपनी जीत समझता है, पर सत्य ये है कि कहीं ना कही, किसी हद तक, वो उसे खो चुका होता है l
आपको अपने आस पास ऐसे कई चेहरे मिलेंगे जो स्थिर है, एक चाबी लगी मशीन की भाँति रोजमर्रा की जिंदगी जी रही होती है पर वो जीवित नहीं होती l
उसके बाद भी एक आस, कि कल सब ठीक हो जायेगा, कभी नहीं टूटती l यही है नारी के सरल स्वभाव का परिचायक..... समय रहते उसकी इस आस को पूर्ण रूप से मृत होने से बचाने का प्रयास, शायद उसके अंदर फिर से जीवन जीने की इच्छा को जागृत कर दे ..... एक बार सोचियेगा जरूर......
त्रुटि के लिए क्षमा 🙏
© * नैna *