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भारतीय साहित्य में स्त्रियों का योगदान
आज का हमारा विषय है "भारतीय साहित्य में स्त्रियों का योगदान"। ये विषय बड़ा ही खूबसूरत है, क्योंकि साहित्यिक कृतियों में सृजनात्मकता आवश्यक है और सृजनात्मकता का सुन्दर संयोग स्त्रियों के साथ के बिना अधूरा है।
माना कि नारी मात्र की स्थिति अधिकतर दयनीय ही रही किन्तु ऐसा नहीं है की स्त्रियों ने किसी क्षेत्र को अपने योगदान से वंचित रखा हो, उन्ही में से एक क्षेत्र ये "साहित्य" भी है।हम सब अवगत है इस बात से कि राजकुमारी विध्योतमा की दुत्कार और देवी काली के आशीर्वाद के बिना महाकवि कालिदास का परिचय मात्र एक मूर्खतम इंसान के रुप में था। कविवर तुलसीदास जी भी अपनी पत्नी देवी रत्नावली के सहयोग के बिना शायद अधूरे थे।
देवी लल्लेश्वरी जिन्हे हम में से कम ही लोग जानते हैं किन्तु भक्तिमती मीराबाई से कौन अनभिज्ञ है। जिन्होंने भक्ति रस से सारे संसार को ओत-प्रोत कर दिया।
आधुनिक युग में सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा आदि का साहित्य में योगदान क्या कम रहा,जिन्होंने देश के नौजवानों में अपनी कविताओं तथा कहानियों के माध्यम से जोश भर दिया...

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© shobha panchariya