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कामवासना 2
शायद अब दर्द कम हो चुका था मैंने अब उसके हाथ जो कि मेरे कंधे पर था उसको अपने दूसरे हाथ में ले लिया हम दोनों की उंगलियां एक दूसरे की उंगलियों में फंसी हुई थी और हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और उसके दूसरे हाथ की उंगली मेरे मुंह में थी मेरी जीभ लगातार उसकी उंगली पर जहां कहां कांच लगा हुआ था उसके आसपास घूम रही थी और मैं बच्चों की तरह उसको चुंबन दिए जा रहा था

वासना की किलकारियां हम दोनों के जिस्मो मैं हिलोरे मार रही थी और मैंने उसकी उंगली को एक रुमाल से साफ किया और उसके ऊपर बैंडिट लगा दी अब वह बिल्कुल नॉर्मल हो गई थी अब उसकी नजर मेरी चौड़ी छाती पर टिकी हुई थी मेरी टी शर्ट के अंदर से ही मेरे छाती का भराव साफ साफ नजर आ रहा था

अब वह एक झटके से खड़ी हो गई और जाने लगी जैसे ही वह पलट कर जाने लगी मैंने उसका एक हाथ पकड़ लिया उसने पलट कर नहीं देखा और 1 मिनट के लिए ऐसे ही खड़ी रही फिर उसने झटके से अपनी गर्दन घुमाई और एक कातिल मुस्कान के साथ मेरी आंखों में देखने लगी और झटके से अपना हाथ छुड़ा लिया और भागकर अपने कमरे में वो आ गई

स्वाति के जाने के बाद मैं अपने कमरे में ही रह गया क्योंकि डिनर हो चुका था अब सोने की बारी थी मैंने अपने घर को भी किया और उनको बताया कि मैं कुशल मंगल हूं यह पहली बार था जब मैं घर से बाहर हूं लेकिन स्वाति को पाने की चाहत के आगे मैं अपने घर छोड़ने का दुख लगभग भूल चुका हूं

जैसा कि मैंने पिछले भाग में ही आपको बता दिया था कि जिस कमरे में मेरे रहने का इंतजाम किया गया है उस कमरे का पंखा नहीं चल रहा है और ऊपर से मई का महीना आप सोच सकते हो गुड़गांव जैसे शहर मैं गर्मी का क्या हाल होगा

मैं  लोवर और बनियान में अपनी चारपाई पर लेट गया बार-बार मेरे दिमाग में कभी घर छोड़ने की बात आती तो कभी स्वाति की तस्वीर मेरी आंखो के सामने छा जाती इस कदर पल दर् पल बीते जा रहे थे लेकिन नींद है कि आने का नाम ही नहीं ले रही थी रात के लगभग 12:00 बज चुके थे मेरा पूरा शरीर पसीने में तरबतर हो रहा था

एक बात समझ में नहीं आ रही थी गांव में भी बिजली नहीं होती थी कई बार लेकिन वहां तो इतनी गर्मी नहीं लगती थी लेकिन शहर में सबके घर बंद बंद जैसे होते हैं तो यहां पर बाहर की हवा लगना नामुमकिन सी है और इसी के साथ मुझे जोर की प्यास लगी मैंने अपने पूरे कमरे में निगाह मारी लेकिन पानी कहीं नजर नहीं आया फिर मैंने सोचा क्यों ना अंदर चल कर किचन के सामने जो ड्राइंग रूम है उसमें प्रीत रखा हुआ है क्यों ना उसमें से ही पानी पिया जाए


और मैं पसीने में तर बतर ही अपने कमरे से बाहर निकल पड़ा और गैलरी में आकर जो कि मैन गेट के सामने ही थी उस गैलरी से होकर अंदर चला गया और फ्रीज खोलने के लिए झुकने को ही हुआ था अचानक से पीछे बुरे का दरवाजा खुलने की आवाज सी हुई एयर कंडीशनर की धीमे-धीमे आवाज बाहर तक आ रही थी और धीरे-धीरे चर चर करता हुआ दरवाजा खुला और मैं अभी भी झुका का  झुका फ्रीज के अंदर पानी की बोतल टटोल रहा था

लेकिन मेरी नजर मेरे पैरों से होते हुए पीछे दरवाजे पर थी मैं देखना चाह रहा था कि बाहर कौन निकल रहा है लेकिन वह वह कहते हैं ना जिसको सच्चे मन से चाहो पूरी कायनात लग जाती है उससे मिलाने में मैं क्या देखता हूं यह तो स्वाति ही है


मुझे स्वाति के पैर नजर आए पैर की पायल पैरों की शोभा और बढ़ा रही थी मैंने पानी की बोतल निकाल कर एक हाथ में रख ली और अपना एक हाथ फ्रिज के ऊपर टिका कर थोड़ा सा पीछे पलटा मेरी और स्वाति की नजर फिर से मिलने लगी

मेरे कुछ कहने से पहले ही वह बोल पड़ी कि बाहर तो बहुत गर्मी है मैंने कहा नहीं ऐसा तो नहीं है उसने अपनी आंखें थोड़ी सी बड़ी की और मेरे बनियान की तरफ देख कर बोली जरा हालत देखो अपनी क्या बात है जनाब को झूठ बोलना भी नहीं आता है

मेरे दिल की धड़कन  जोर-जोर से धड़क रही थी ऐसा लग रहा था कि दिल निकल कर बाहर ना आ जाए लेकिन मैं उसे लगातार उसकी आंखों में देख रहा था उसको देखने भर से मेरे पूरे शरीर में एक अलग ही उमंगों का दौर चल रहा था जिसका असर मेरे लिंग पर भी होने लगा था मेरा लोवर मेरे अंदर होने वाले हर हलचल को बयान कर रहा था

स्वाति ने भी एक पानी की बोतल निकाल ली मैंने अपना हाथ जो फ्रीज पर रखा हुआ था उसको सीधा कर दिया जैसे आंखों से इशारा सा किया कि मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूं यह कहूं कि तुम्हारा हाथ अपने हाथ में चाहता हूं तो गलत नहीं होगा मुझे पूरी उम्मीद थी वह अपना हाथ मेरे हाथ में रख देगी लेकिन हुआ इसके विपरीत

लगातार मेरी आंखों में देख रही थी उसके होंठ आपस में कसमसा रहे थे उसके चेहरे के भाव बता रहे थे जो मेरे अंदर चल रहा है वही उसके अंदर भी चल रहा है मैंने अपनी आंखों को थोड़ा बड़ा करते हुए आंखों से इशारा किया की अपना हाथ मेरे हाथ को पर रखो मेरे इशारे को देखते हुए उसने अपनी नजरें नीचे की तरफ झुका ली जैसे अपने ही पैर देख रही हो

उसने अपना हाथ मेरे हाथ में नहीं रखा और वह अचानक से पलट कर अपने कमरे की तरफ पहला कदम बढ़ाया मन तो कर रहा था कि उसको पीछे से ही अपनी बाहों में भर लूं लेकिन मैं ऐसी कोई भी जल्दबाजी नहीं करना चाहता था उसने दरवाजे के हैंडल को अपने हाथ से पकड़ा और अचानक से पलटा और अपनी एक आंख बंद कर ली यह मेरे लिए  ग्रीन सिगनल था और इतना करते ही उसने सीधा अपने कमरे में प्रवेश कर लिया मैं देखता ही रह गया और मैं आंखों से इशारे करते रह गया


मैं वापस अपने कमरे में आ गया और फिर से अपनी चारपाई पर लेट गया और करने लगा इंतजार नींद का लेकिन नींद है आज आने का नाम ही नहीं ले रही मैंने अपनी दोनों आंखें बंद कर ली लेकिन  कुछ देर बाद मैंने महसूस किया मेरा एक हाथ मेरे लिंग पर था और हल्के हल्के में उसको सहलाने लगा था
यह करते-करते मुझे कब नींद आ गई मुझे पता ही नहीं चला 4:00 बजे के आसपास दोबारा मेरी आंख खुल गई आमतौर पर मैं इतनी जल्दी नहीं उठता मैं तो लगभग 5:00 बजे उठता हूं मैं लेटे लेटे ही अपनी ख्वाबों की दुनिया में सोचने लगा जिंदगी में क्या हो रहा है और क्या मुझे करना है और इसी के साथ मुझे मेरे दरवाजे पर हल्की हल्की सी आहट सी होने लगी मैं एकदम से अपनी चारपाई से खड़ा हुआ मुझे लगा स्वाति खड़ी हो गई लगता है वह भी जल्दी उठती होगी

मेरे पूरे शरीर में 440 वोल्ट का करंट लगा और मैं एकदम से अपनी चारपाई छोड़कर दरवाजे के पास आ गया लेकिन मेरा पूरा शरीर अभी तक पसीने से तरबतर था जैसे ही अपना दरवाजा खोल कर पहला कदम बाहर की तरफ रखा मेरे सारे शरीर की ऊर्जा एक पल में गायब हो गई बाहर तो दादाजी हैं वह बाहर जाने की तैयारी कर रहे थे मेरे दरवाजे की आहट के बाद उन्होंने मेन गेट जो खोल रहे थे उसको खोलना रोक दिया और पीछे पलट कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा बरखुरदार बड़ी जल्दी उठ गए रात को सोए भी थे या पूरी रात ऐसे ही कट गई होता है कभी भी दूसरी जगह जाओ तो जल्दी से नींद नहीं आती

मैं आगे बढ़ा शरीर में उर्जा तो गायब हो चुकी थी सोचा था क्या हो गया क्या

और मैं उनके पैर को छूने लगा जैसे ही मैं उनके  झुका उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर रख दिए और उनके हाथ मेरे पसीने से पूरे गीले हो गए
उन्होंने मुझे खड़ा किया और अपने सीने से लगा लिया बेटा मुझे माफ कर दो तुम्हें ऐसी रात भी नसीब हुई तुम्हारे पापा के बड़े उपकार है मेरे ऊपर जब उनको यह पता चलेगा तो वह क्या सोचेंगे मेरे बारे में
मैंने उनसे कहा  ऐसी कोई बात नहीं है मैं अपने घर कुछ भी नहीं बताने वाला और वैसे भी यह सब कुछ मेरे लिए बड़ी सामान्य सी बात है और ऐसा कुछ बताऊंगा तो वह मेरे लिए और ज्यादा चिंता ही करेंगे


दादा जी ने कहा जब तक पंखा सही नहीं हो जाता तुम कल से अपनी चारपाई हमारे ही रूम में लगा लेना वहां एयर कंडीशनर है आराम से नींद आएगी

चलो अब जल्दी उठ गए हो तो चलो घूमने चलते हैं मेरे साथ चलो

दादा जी के साथ मॉर्निंग वॉक पर घूमने के बाद मैं नहा धोकर तैयार हो गया और ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठकर पेपर पढ़ने लगा और दादा जी नहाने के लिए वॉशरूम में घुसे हुए थे स्वाति हम सबके लिए ब्रेकफास्ट तैयार कर रही थी स्वाति अभी तक नहाई नहीं  थी

कल रात की पसीने भरी उमस के बाद आज सुबह का एहसास काफी अच्छा था नहाने के बाद तन का एक एक रोम महक सा उठा था

इतनी देर में मेरी फोन की घंटी खनखन आने लगी स्वाति ने मेरी तरफ पलट कर देखा और मैं लगातार उसकी आंखों में देख रहा था उसने आप अपनी आंखें बड़ी की उसकी भोहे लगभग उसके माथे के आधे भाग तक पहुंच चुकी थी

और मुझे आंखों से ही इशारा किया कि तुम्हारा फोन आया हुआ है उसके इस प्रतिक्रिया के बाद मेरी तंद्रा टूटी और मेरा ध्यान मेरे फोन पर गया मेरा फोन सोफे के एक कौने पर पड़ा हुआ था फोन उठाया तो मैं लगवा घबरा सा गया था क्योंकि फोन मेरी कंपनी से था आज मेरा पहला दिन था यह फोन हमारे  hr द्वारा किया गया था उसने मुझे बताया कि ऑफिस में कोरोना पॉजिटिव केस पाया गया है इसलिए आने वाले 7 दिनों तक ऑफिस बंद रहेगा लेकिन तुम चिंता मत करो इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है तो तुम्हें तुम्हारी तनख्वाह आज से ही मिलने शुरू हो गई तुम आज से 7 दिन बाद ऑफिस आ जाना और ऑफिस आने से पहले अपना कोविड-19 टेस्ट करा लेना अगर रिपोर्ट पॉजिटिव हो तो ही ऑफिस आना और आपको अपना ध्यान रखना और इसी के साथ उसने फोन रख दिया मेरे उदासी भरे  चेहरे पर मुस्कान ले आया

इसी के साथ किचन के अंदर से स्वाति की एक जोर की आवाज आ _ उई ई ई  मां
मैं एकदम से दौड़कर किचन तक पहुंचा किचन लगभग 3 कदम दूर ही था जहां में बैठा हुआ था

अंदर जाकर देखा तो मैं दंग रह गया स्वाति एक कोने में खड़ी हुई थी उसका मुंह दीवार के तरफ था मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ उसमें बिना देखे ही उंगली से इशारा करते हुए बताया कि ऊपर छत से एक मोटी सी छिपकली सीधा किचन के सेल्फ पर गिरी और सेल्फ के ऊपर से वह छिपकली नीचे गिर गई है जो बिल्कुल मेरे पैर के पास थी मुझे ऐसा लगता है कि वह मेरे पैर के ऊपर से गुजरने वाली थी

मुझे बहुत जोर से हंसी आ रही थी और मैं हंसने लगा उसने एकदम से अपनी गर्दन घुमाई वीर यह क्या बात हुई मुझे यहां डर लग रहा है तुम हंस रहे हो मैंने कहा सॉरी यार गलती हो गई मैंने कहा यार इसकी आंखें तो काफी बड़ी बड़ी है और यह तुम्हारी तरफ देख कर पूछ क्यों हिला रही है तुम्हें खाना चाहती है तुम्हें प्यार करना चाहती है इतना सुनते ही वह एकदम से डोरी और जैसे ही पहला कदम उठाया उसके दोनों हाथ मेरी छाती पर लगे और मैं उस धक्के से गिर गया और जैसे ही मैं गिरने लगा मेरे दोनों हाथ उसकी कमर पर आ गए और हम दोनों धड़ाम से गिर गए

मैंने मौके का फायदा उठाते हुए बोला हाय राम यह छिपकली तो बड़ी पागल है मेरे पास पैर के ऊपर चल रही है और इतना सुनते ही उसने अपने दोनों नाखून मेरे कंधों पर जोर से त्वचा के अंदर घुसा दिया

और वह ऐसे छटपटा रही थी जैसे पीछे सांप आ रखा हो

मैंने अपने होठों को खोलते हुए उसके चेहरे पर एक जोर से फूक मारी मेरे होंठ उसकी गर्दन से ऊपर उसके निचले होंठ से थोड़ा नीचे थे उसके शरीर की भीनी भीनी खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी उसके खुले हुए बाल मेरे पूरे चेहरे को रखने में कामयाब रहे मेरे दोनों हाथ अब उसकी कमर से उतर कर उसके नितंबों पर पहुंच गए मेरी उंगलियों के कदम उसके नितंबों पर होने लगे थे

अब जैसे ही उसने ऊपर उठने की कोशिश की मैंने अपने बाहों के गिरफ्त बढ़ा दी अब उसने मेरी आंखों में देखा थोड़ी सी मुस्कुरा दी

ओके सीने पर बैठे हुए दोनों कबूतर मेरी छाती पर अपने होने का एहसास दे रहे थे मैंने अपने आप को थोड़ा सा गर्दन की तरफ से उठाया और इसी कशमकश में मेरे चेहरे पर जो हल्की हल्की दाढ़ी थी उसके रगड़ उसकी गर्दन पर हुई वह लगभग एकदम से एक जोर कि सास उसने बाहर की तरफ छोड़ी और वह लगभग कसमसा सी गई उसके पूरे बदन में एक लहर से दौड़ने लगी मैंने अपना एक हाथ उसके नितंब से हटाया और साथ में फर्स् पर रख दिया और अपनी आंखों को बड़ा करते हुए आंखों से इशारा किया और अपने दोनों होठों को जोड़कर उसकी तरफ आगे बढ़ाया और आंखों से इशारा किया की अपना हाथ मेरे हाथ पर रखो ?

मैंने अपने हाथ को जो कि उसके नितंब पर था सारी उंगलियों को खोल दिया और अब उसके नितंब की खाल को धीरे-धीरे अपनी मुट्ठी में कसने लगा

अपने दोनों नितंबों का हल्का सा हिलाया और उसका सीधा प्रभाव मेरे लिंग पर हुआ और वह अपना एक हाथ मेरे हाथ पर रखने वाली थी कि इतने में पीछे से दादाजी की आवाज आई अरे कहां गए सब लोग


दादाजी की आवाज सुनते ही हम दोनों के परखच्चे उड़ गए हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे जैसे स्वाति ने खड़ा होने की कोशिश की उसके गले में पहनी हुई चैन मेरे गले और ठुढि के बीच में फस गई और उसी आपाधापी में वह चैन टूट गई

मेरे दोनों हाथ की उंगलियां उसके नितंबों पर थी मैंने झटके से उसके दोनों नितंबों को कस कर पकड़ा और मेरे नाखून उसके दोनों नितंबों के बीच में बनी हुई दरार मैं घर्षण  करने में कामयाब रहे उसे एक पल के लिए लगा कि मैं उसे छोड़ नहीं रहा हूं उसने मेरे कान और जोर से काट लिया और मैंने उसे छोड़ दिया और एक पल में हम दोनों सीधे खड़े हो गए जैसे वहां कुछ हुआ ही नहीं था

धीरे धीरे दादाजी ड्राइंग रूम में पहुंचे उन्होंने स्वाति से पूछा क्या हुआ जब तक मैं भी ड्राइंग रूम में आ चुका था तब स्वाति ने दादा जी को छिपकली वाला वाक्य बताया लेकिन यह नहीं बताया कि हम दोनों गिर पड़े और उसने मुझे कान पर काट लिया मैं दादाजी के पीछे खड़ा था मैंने उसे इशारा किया यह भी तो बताओ कि तुमने मुझे यहां पर काटा है

दादाजी ने उसे थोड़ा सा हिमाकत देते हुए कहा छिपकली से भी कौन डरता है मैं तुम्हारे जितना था ना सांप मार देता था और तुम लोग हो  की छिपकली से डरते हो

यह कहने के बाद दादा जी खाना खाने के लिए बैठ गए और मैं अपने रूम में चला गया क्यों कि ऑफिस जाना नहीं था तो मैं दोबारा से लोवर और टीशर्ट पहन कर वापस आ गया.

मैंने फ्रिज में से बोतल निकाल कर दादा जी को दे दी क्योंकि स्वाति को ध्यान नहीं रहा कि दादा जी खाना खा चुके हैं और मैं और राधा जी लग गए बातों में

बात बातों में कब एक घंटा निकल गया पता ही नहीं चला

क्या तुम भी आज ऑफिस नहीं जा रहे हो तो दादा जी ने बताया मैं इसका ऑफिस भी तुम्हारी तरह कुछ दिन के लिए बंद हो गया यह घर से ही काम करेगी लेकिन आज तो यह छुट्टी पर है इसके सहेली की शादी है तो कब निकल रहे हो स्वाति

स्वाति ने दादाजी को जवाब दिया घर का काम खत्म करने के बाद लगभग 2:00 बजे 3:00 बजे के आसपास मैं निकल जाऊंगी और आप दोनों रात का खाना या तो बाहर से मंगा लेना या खुद बना लेना यह कहते हुए उसने मेरी तरफ देखा और हल्के से मुस्कुरा दि


दादाजी ने कहा मैं जरा बाहर घूम कर आता हूं तुम लोग अपना काम करो क्योंकि खाना खाने के बाद अगर मैं घूमने ना जाऊं तो मेरी तबीयत खराब हो जाती है और यह कहते हुए वह बाहर निकल गए


मैंने स्वाति की तरफ देखते हुए बोला छिपकली यह कितनी हरामि है देखो फिर तुम्हारे पैर पर चढ़ने वाली है और उसने एकदम से तेज कदम ड्राइंग रूम की तरफ बढ़ाएं और पीछे मुड़ कर देखा वहां कोई छिपकली नहीं थी उसने सोफे के ऊपर रखे हुए कुशन को मेरे सर पर दे मारा और मेरी आंखों में देख कर बोला जनाब तुम बहुत बदमाश हो तुमसे तो संभल कर रहना पड़ेगा मैंने अपना हाथ फिर से उसके तरफ आगे बढ़ा दिया तो उसने अपना हाथ मेरी तरफ किया मुझे लगा कि अब वह अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख देगी लेकिन यह क्या हुआ अचानक से उसने अपना हाथ मोड़ा और अपने बाल जो कि उसके  चेहरे पर आए हुए थे उनको कान के पीछे लेकर जाने लगी लेकिन उसकी नजरें मेरी आंखों में ही थी

मैं स्वाति को अपने बाहों में बनना चाहता था लेकिन वह पलटी और अपने दोनों होठों ऐसे चिपका कर मेरी तरफ आगे किए जैसे दूर से किस करने वाले हो और एक आंख मार कर चली गई अब मुझे यह तो यकीन था हम दोनों का समागम निश्चित है लेकिन  हमारा समागम कब होगा या ऊपर वाला ही जाने


थोड़ी देर बाद मेरे पास आकर सोफे पर बैठ गई और लग गई फोन करने अपनी सखी पहेलियों को और सब से उसका एक ही प्रसन् था तुम क्या पहन कर आओगे तुम कब जाओगे तुम गिफ्ट में क्या लेकर चलोगे मैं भी इन सभी गतिविधियों में दखलंदाजी नहीं देना चाहता था मैंने सोचा अभी पूरी जिंदगी पड़ी है फिर किसी रोज हम मिलेंगे अगर ऊपर वाले ने चाहा तो

मैं टीवी देखने में मगन हो गया स्वाति ने पहली बार मुझसे कुछ पूछा तुम तो ऐसे टीवी देख रहे हो जैसे इससे पहले तुमने कभी टीवी देखा ही नहीं हो कोई और भी यहां रहता है और वह परेशान है या नहीं कि उसकी मदद ही कर दूं


मैंने बताओ क्या काम करना है क्या नहीं करना है उसने कहा यार एक परेशानी खड़ी हो गई है जितने भी पार्लर वाले को फोन कर रही हूं सारे के सारे बिजी हैं मेरे मुख से कातिल से मुस्कान शुरू हो गई

उसने कहा कि मैं यहां परेशान हूं और तुम मुस्कुराए जा रहे हो मैंने कहा तुम तो वैसे ही इतनी खूबसूरत दिखती हो फिर पार्लर जाने की जरूरत ही क्या तुम्हें क्या पता लड़कियों की क्या क्या जरूरत होती है मेरे मुख से भी निकल गया मैं लड़कियों की सारी जरूरतों को समझता हूं और यह कहते-कहते मेरी नजर उसके होठों पर थी


स्वाति ने थोड़ा सा उदास सा चेहरा बनाया मैंने कहा क्या हुआ बताओ यार मुझे आइब्रोज करवानी है और एक हाथ पर मेहंदी लगवानी है

मैंने कहा बस इतनी सी बात है यह दोनों काम तो मैं कर सकता हूं मेरा इतना सुनते ही बिल्कुल मेरे पास आकर चिपक कर बैठ गई तुम सच बोल रहे हो ना वीर अगर यह मजाक है तो बिल्कुल भी अच्छा मजाक नहीं है


मैंने कहा नहीं यह बिल्कुल भी मजाक नहीं है मैंने कहा तुम मेहंदी का वह कुपी लेकर आ जाओ मैं लगा देता हूं



एक बार फिर से मुझे पूछा वीर तुम सच बोलो ना कर लोगे ना यह सब देख लो कुछ भी खराब हुआ तो तुम्हारी खैर नहीं

मैंने हंसते हुए सिर्फ एक ही बात बोली तुम्हें पता भी है कि मैं खैर किसको कहता हूं


आप अपनी आंखें थोड़ी बड़ी की और मुस्कान और भी ज्यादा बड़ी करते हुए पूछा बोलिए जनाब


मैं तो खैर अपने होठों को कहता हूं और वह इतनी जोर से खिलखिला कर हंसने लगी बहुत प्यारी लग रही थी अब पहली बार मैंने उसे एक आंख मारी

स्वाति मेहंदी ले आई और सोफे पर बैठ  गई और मैं बैठ गया फर्श पर


मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और इशारा किया कि रखो अपना हाथ इस के ऊपर


वह थोड़ा मुस्कुराइ और मेरी आंख में देखते हुए एकदम से अपने दोनों पलके बंद कर ली और अपना हाथ मेरे हाथ में रख दिया

मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था मुझे लड़की इतनी जिद्दी है पता नहीं हाथ कब रखेगी यह सब कुछ आज ही होगा इस बात का बिल्कुल भी मुझे यकीन नहीं था
दादाजी की आवाज सुनते ही हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गए. स्वाति ने अपना सारा समान टेबल पर से उठाया और अपने कमरे में भाग गई जैसे ही वह सामान लेकर पलट रही थी मैंने पीछे से उसके एक नितंब को दबाया जैसे स्माइली वाली बॉल को दबाते हैं उसने मेरी तरफ देखा और जैसे नजरों से कह रही हो मान जाओ ना यार



लेकिन उसके नरम होठों का एहसास मेरे होठों पर अभी तक था मैंने अपना मोबाइल ऑन किया और कैमरे में चेक किया कि कहीं मेरे होठों पर कुछ ऐसा तो नहीं लगा हुआ है तुम्हें ने अपना चेहरा तो देखा तो सब कुछ सही नजर आया मैंने अपना मोबाइल बंद करके टेबल पर रखती है

इतनी ही देर में दादाजी की एंट्री हो जाती हो मैं फ्रिज के सामने सोफे पर बैठा हूं और टीवी देखने का एक्टिंग सा करने लगा दादा जी मेरे साथ में आकर बैठ गए बताने लगे कि पंखे वाले की दुकान पर गए थे लेकिन वह तो किसी कारणवश अपने गांव में गया हुआ है चार-पांच दिन में आएगा तब तक तुम बेटा अपना चारपाई बेड के साथ में ही लगा लेना

मैंने कहा  जी ऐसी कोई बात नहीं मैं चार-पांच दिन मैनेज कर लूंगा हमारे गांव में भी कई कई दिन लाइट नहीं आती थी

इस पर दादाजी थोड़े से संवेदनशील होकर कहने लगे बेटा तुम्हारे गांव में इतनी गर्मी में भी तो नहीं होती थी ना इतने बंद मकान भी नहीं थे जो मैं कह रहा हूं वह करते जाओ जब मैं और स्वाति अंदर सोते  हैं एयर कंडीशनर में तो बेटा तुम भी अपनी चारपाई अंदर ही लगा लोगे तो उसमें क्या प्रॉब्लम है

मैंने अपना सिर हिला कर अपनी सहमति अंदर सोने के लिए दे दी

बात करते-करते कब 4:00 का टाइम हो गया हमें पता ही नहीं चला दादाजी ने पूछा स्वाति क्या अभी तक तैयार हो रही है मैंने कहा वह कमरे में है शायद तैयार हो रही थी

दादा जी ने वहीं से बैठकर स्वाति को आवाज लगाई बेटा पहले तो बहुत जल्दी जल्दी कर रही थी अब 4:00 बज गए हैं तुम कब जाओगे तो बंद कमरे से अंदर से स्वाति की आवाज आई बस 15:20 मिनट और

दादा जी अपने आप धीरे से फूसफूस आने लगे इन लड़कियों का कुछ नहीं हो सकता कितने घंटे से तैयार हो रही हो अभी भी इनको टाइम चाहिए मैंने कहा दादा जी चाय लोगे क्या और दादा जी ने मेरी तरफ देखा मुस्कुराते हुए बना ले बेटा आज तो तेरे हाथ की चाय पीते हैं


इतना सुनते ही मैं किचन की तरफ उठा और लग गया चाय बनाने मैं चाय बना ही रहा था कि पीछे से मुझे कुछ भीनी भीनी खुशबू का अहसास हुआ मैंने पलट कर देखा तो स्वाति मेरे पीछे खड़ी थी जैसे ही मैं पलटा तो हमारे चेहरे एक दूसरे के सामने थे वह एक सुंदर अभिनेत्री की तरह लग रही थी

मेरा चेहरा दादाजी की तरफ था और उसका चेहरा मेरे चेहरे की तरफ था उसने मौके का भरपूर फायदा उठाया उसने अपने दोनों आंखें बड़ी करते हुए अपनी आईब्रो को उपर नीचे करने लगी और बारी बारी से अपनी आंखें मारे जा रही थी मैं अपने चेहरे पर किसी भी तरह का कोई भी भाव नहीं दे रहा था क्योंकि मेरे सामने दादा जी

उसके शरीर से उड़ती हुई मादक सुगंध मेरा मन मोह रही थी उसके बाल बिल्कुल खुले हुए थे और उसकी कान के झुमके लटक कर उसके गालों को छू रहे थे और उसने अपने होठों पर गुलाबी गहरे रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी उसने हल्का गुलाबी रंग का लहंगा पहना हुआ था और उसी से मैचिंग करता हुआ ब्लाउज और लहंगे और ब्लाउज के बीच में स्टील की चैन एक दूसरे को जोड़ रही थी और उससे उसके बीच में  उसका मखमली पेट दिखाई दे रहा था दूधिया रंग की नाभि कमाल ढा  रही थी

और अब वह पलट कर जाने लगी मेरा ध्यान उस के बाहर की तरफ निकले हुए नितंबों पर गया नितंबों के ऊपर एक खास किस्म की कसावट से बनी हुई थी
मैंने उसके नितंबों को हल्का सा  छूकर अपने हाथों को पीछे कर लिया.. उसके ब्लाउज से लेकर उसके नितंबों तक एक मोटी चैन लगी हुई थी और उस चैन को खींचने वाला जो पुलर होता है उस पर कुछ मैचिंग कलर की कुछ झालर लगी हुई थी

हम दोनों को बाय बोल कर वह बाहर चली गई उसने एक ओला कैब की हुई थी अब मैं और दादा जी चाय पीने लगे और हम दोनों अपने ही गपशप में लग गए देखते ही देखते कब शाम के 8:00 बज गए पता ही नहीं चला

मेरा ध्यान बार-बार स्वाति के पहनावे पर ही जा रहा था ऊपर वाले की कसम आज मैंने अपने आप को कैसे संभाला वह तो मैं जानता हूं मैंने दादा जी को पूछा दादाजी खीर खा लोगे क्या दादा जी ने कहा बड़े दिन हो गए यार और मुझसे कहा चल हम दोनों भी कहीं बाहर खाने चलते हैं मैंने कहा नहीं दादा जी मैं बनाता हूं क्योंकि खीर बनाना सबसे आसान है मैं किचन में गया चावल का डब्बा ढूंढ कर सेल्फ पर रख लिया फ्रिज में से दूध निकाल कर ले आया अब मैं ढूंढने लगा इलायची और ड्राई फ्रूट्स फाइनली सब कुछ मिल गया और बीच-बीच में मैं दादाजी की तरफ देख रहा था फाइनली आधे घंटे के बाद हमारी खीर बन कर तैयार हो गई और हम दोनों ने मिलकर खूब मजे से खीर का आनंद लिया.

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