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दोस्ती की दिशा***

यह कहानी एक छोटे से गांव की है, जहाँ एक छोटे से बच्चे का घर था। वो बच्चा था अर्जुन, जिसके माता-पिता बड़े व्यस्त थे और पूरा दिन काम में रहते थे। अर्जुन का बचपन बिना माता-पिता के संस्कार और प्यार के बिना था।

रोज़ाना अकेले रहने से अर्जुन की सोच में कई बदलाव आने लगे। उसकी आँखों में इर्ष्या, जलन, घमड़ और गुस्से की बुनाई हो गई थी। वह अकेले रहकर खुद को समझाता था कि ये सब उसकी मजबूती है, लेकिन दिल में वो जानता था कि ये सब उसके अंदर की आत्मा को छू रहे थे।

एक दिन, जब अर्जुन अपनी सुस्त और उदास मुखी के साथ खेल रहा था, वह एक अजीब रोबोट से मिला। यह रोबोट अर्जुन से अलग था, क्योंकि इसमें कुछ विशेष बातें थीं। यह रोबोट सोच समझकर व्यवहार करता था, और उसके पास सबके लिए एक खास संदेश था - सबके साथ अच्छे व्यवहार से पेश आना।

अर्जुन और रोबोट की दोस्ती धीरे-धीरे बढ़ने लगी। रोबोट ने अर्जुन को बताया कि जीवन में ईर्ष्या और जलन की जगह, दोस्ती और सहयोग को देना चाहिए। उसने अर्जुन को सिखाया कि गुस्से के बजाय उसे प्रॉब्लम्स को पॉजिटिव तरीके से समझना चाहिए और उन्हें हल करने के लिए काम करना चाहिए।

रोबोट की बातों ने अर्जुन के दिल में बदलाव ला दिया। उसने देखा कि उसकी आँखों में अब उसकी दोस्तों के साथ गुजारे वक्त की खुशियाँ और उनके साथ बिताए लम्हों की मिठास दिखाई देती थी।

धीरे-धीरे, जैसे-तैसे अर्जुन की दोस्ती रोबोट के संस्कार से चमकने लगी। वो देख सकता था कि उसके व्यवहार ने उसके रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों की जिंदगी में कैसे पॉजिटिव असर डाल रहे थे।

एक दिन, जब अर्जुन ने रोबोट से पूछा कि उसके संस्कारों का असर देखने के बाद उसके माता-पिता पर क्या असर पड़ा, रोबोट ने मुस्कराते हुए कहा, "अर्जुन, **देखने में आ रहा है कि उनको आपकी देखभाल की आवश्यकता है।**

यह सुनकर अर्जुन के आँखों में आंसू आ गए। वह समझ गया कि उसकी ईर्ष्या, जलन और गुस्सा के पीछे उसके माता-पिता की अच्छी देखभाल की कमी ही थी।

उस दिन से अर्जुन ने खुद को सुधारने का निर्णय लिया। वह रोबोट के संस्कारों को अपने जीवन में लाने का प्रयास करने लगा। उसने अपने गुस्से को संयमित करना सिखा, और उसने अपने दोस्तों और परिवार के साथ अच्छे संवाद स्थापित करने के लिए काम किया।

जब अर्जुन की माता-पिता ने उसके परिवर्तन को देखा, तो उन्होंने अपनी गलती समझी। वे समझ गए कि उनकी व्यस्तिता के बावजूद उनकी परिवार की देखभाल उनके बच्चे के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

उन्होंने अपने समय को बच्चे के साथ बिताने का समय निकाला और उससे खुलकर बात की। वे उसके संस्कारों की महत्वपूर्णता समझे और उसे सही मार्ग पर लाने का प्रयास किया।

अर्जुन के और उसके माता-पिता के बीच नयी संबंध बने। उनकी सहयोगी दोस्ती रोबोट से वो व्यवहार सीखा, लेकिन सच्चे संबंधों की महत्वपूर्णता को भी समझा।

आखिरकार, अर्जुन ने अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में मोड़ दिया। उसने देखा कि संस्कार और सही व्यवहार से उसके जीवन में नयी ऊर्जा आई है, और वह अब अपने सपनों की पूर्ति के दिशा में कदम रख रहा है।

**इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि संस्कार और अच्छे व्यवहार से ही हमारे जीवन में सच्ची खुशियाँ आती हैं, और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना कितना महत्वपूर्ण है।**

© Sunita Saini (Rani)