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मुर्तिकार की मानवता
मुर्तिकार की मानवता

सुबह का समय था एक औरत मंदिर के सिढी़यो को साफ कर रही थी,वही एक छोटी बच्ची मंदिर की सिढी़ पर खूब मगन होकर खेल रही थी और बार- अपनी माँ से एक सवाल पूछे रही थी की माँ पापा कहां है कई बार सावाल करने पर गुसा होकर भगवान शंकर की तरफ इशाराकरते हुए कहा वह है तेरे पिता लड़की बहुत खुश हुई और भगवान शंकर के मूर्ति के पास जा कर खेलने लगी वहीं एक मूर्तिकार खड़ा हो सबी घटनाओ को देख रहा था।
वह...