...

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रानी
ट्रिन-ट्रिनऽऽ. सेलफोन रिंग होने लगा। अचानक इतने सालों बाद रानी का नं. देख पूनम ने उठाया, हेलोऽ। उधर से आवाज आई पूनम दी मैं रानी। हाँ बोलो
रानी तुम्हारा नं. सेव है मेरे पास कहकर
पूनम ने कुशलक्षेम पूछा।
रानी ने फिर आगे बताया दी मैं शादी करने जा रही हूँ। अच्छा किस से? पूनम उत्सुक हो गई। दी मामी के दूर के रिश्तेदार हैं, उन्होने ही रिश्ता जमाया है। लडका डैवोर्सी है। एजुकेटेड है। जाॉब अच्छी है। माँ बीमार रहतीं हैं।
बस छोटा सा परिवार है। अब इस उम्र में
कौन कुँवारा लडका मिलेगा?
पूनम ने बधाई दी और कहा चिंता मत कर देर से ही सही सब अच्छा होगा। फोन रख कर पूनम याद करने लगी, "कैसे मौसीजी ने तीनों बेटियों को अच्छी शिक्षा देकर पाला था। पर पता नही क्या हो जाता था। तीनों का कहीं रिश्ता ही नही होता। दोनों बडी लडकियाँ किसी लडके को पसंद ही नहीं करतीं। किसी का परिवार पसंद न आता तो कहीं लडका पसंद न आता। कहीं पर दूरी का बहाना कर देतीं तो कहीं लडके की नौकरी पसंद नही आती।
मौसीजी जब मुझसे मिलीं थीं तो उन्होने कहा था देख पूनम ये बडी दोनों मुझे बहुत सता रही हैं। मैंने निश्चय कर लिया कि अब छोटी यानि रानी की शादी कर दूँगी। मेरे जीते जी एक की तो शादी देख लूँ। पर पता नही ऐसा क्या कि अचानक मौसीजी का देहांत हो गया। पता चला उन्हें अटैक आया था। उसके बाद रानी ने सारे घर संभाले रखा।
मौसाजी थक जाते थे काम करके जब घर आते तो दोनों बडी लडकियों का झगडा देख चिड जाते। भोजन करे बगैर सो जाते। रानी दिन भर स्कूल जा कर आती फिर मौसाजी को संभालती।
आज मौसीजी को गुजरे दस साल हो गए हैं। पता नही मामी को कैसे तरस आ गई, देर से ही सही रानी की शादी हो रही है, मुझे जाना होगा आशिर्वाद देने मौसीजी मुझे कितना मानती थीं।" फिर पूनम ने स्कूल से छुट्टी ली और रानी की शादी के निकल पडी।