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तोता शिकारी और साधु
एक समय की बात है एक नदी था नदी के पास एक पेड़ था उस पेड़ पर तोता और उसका बच्चा रहता था एक दिन तो था खाने के खोज में गया फिर उस समय एक शिकारी आया और बच्चे को लेकर चला गया जब तोता आया तब बच्चा ना देख कर उसे बहुत दुख लगा वह उसे बहुत खोजा लेकिन वह नहीं मिला उस नदी पर जो आता और नहाता तो तोता उसका कपड़ा चुरा लेता एक दिन उस नदी में नहाने एक साधु आए उनके भी कपड़े चुरा लिए तब वह साधु ने एक और साधु को बुलाया और जब वह नहा रहा था तब ऐसा तो चिपका देख रहा था तब उसने देखा कि तोता कपड़ा चुराकर ले जा रहा है उसके तोता का पीछा किया जब तोता कपड़ा रखकर पेड़ पर बैठा तब साधु पूछा कि तुमने मेरा कपड़ा क्यों चुराया है तब तोता बोला कि तुमने मेरे बच्चे को क्यों चुराया है साधु बोला कि मैंने तुम्हारे बच्चों को नहीं चुराया है मुझे मालूम है कि तुम्हारे बच्चे को कोई शिकारी चुराया होगा तब तोता बोला कि आप भी मेरे बच्चे को खोजने में मदद करेंगे साधु बोला कि ठीक है मैं तुम्हारा मदद करूंगा वह दोनों खोजने के लिए निकल गया साधु को एक व्यक्ति मिला व तोता का बच्चा को खरीदने जा रहा था तो साधु बोला कि भाई किसी शिकारी के पास तोते का बच्चा देखा है तो वह व्यक्ति बोला कि मैं एक तोता का बच्चा खरीदने जा रहा हूं उस तोते के बच्चे में एक ऐसा खासियत है जो और किसी में भी तोते में नहीं है उसके चेहरे पर एक ऐसा रंग था जो भगवान ने दी थी इसीलिए शिकारी उस बच्चे को बेचकर धनी होना चाहता था क्योंकि उसका बहुत अच्छा दाम लग रहा था तोता इसलिए अपने बच्चे को पहचान जाता है तोता और वह व्यक्ति उस शिकारी के पास गए और बच्चे को लेकर आ जाए तोता साधु और व्यक्ति का धन्यवाद किया और चला गया